नई दिल्ली: मणिपुर में हुईं हिंसक (Violent in Manipur) झड़पों पर अपने पहले सार्वजनिक बयान में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने बीते गुरुवार को मणिपुर हाईकोर्ट के उस आदेश की जिम्मेदार ठहराया, जिसमें राज्य सरकार को मेईतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने के लिए कदम उठाने के लिए कहा था। अमित शाह ने कहा, ‘मणिपुर में अदालत के एक फैसले के कारण कुछ झड़पें हुई हैं।’
शाह ने कहा, ‘मणिपुर (Manipur) के सभी भाइयों और बहनों से मेरी अपील है, छह साल से हम सब शांतिपूर्वक एक साथ आगे बढ़े हैं। एक भी बंद नहीं था, एक भी नाकाबंदी नहीं थी।
अदालत के एक आदेश की वजह से जो विवाद हुआ है, उसे आज बातचीत और शांति से सुलझाएंगे। मोदी सरकार (Modi Government) की यह नीति है कि किसी के साथ अन्याय न हो।’
एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमित शाह ने गुवाहाटी यात्रा के दौरान ये बात कही, जहां उन्होंने एक राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय (National Forensic Science University) की नींव रखी और विभिन्न सरकारी विभागों में 44,703 नए भर्ती उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र वितरित किए।
मणिपुर हाईकोर्ट के आदेश का किया जिक्र
वह 27 मार्च को मणिपुर हाईकोर्ट के एकल-न्यायाधीश के आदेश का जिक्र कर रहे थे, जिसमें राज्य सरकार को मणिपुर की ST सूची में मेईतेई समुदाय (Meitei Community) को शामिल करने के लिए केंद्र को एक सिफारिश भेजने का निर्देश दिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने भी बताया था गलत
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एकल-न्यायाधीश (Single Judge) का आदेश ‘बिल्कुल गलत’ है, लेकिन इस पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था, यह देखते हुए कि मामला राज्य में एक खंडपीठ के समक्ष लंबित था।
बीते 17 मई को सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर हाईकोर्ट द्वारा राज्य सरकार को अनुसूचित जनजातियों की सूची में मेईतेई समुदाय (Meitei Community) को शामिल करने पर विचार करने के निर्देश के खिलाफ ‘कड़ी टिप्पणी’ की थी। शीर्ष अदालत ने इस आदेश को तथ्यात्मक रूप से पूरी तरह गलत बताया था।
हाईकोर्ट (High Court) के आदेश के बाद राज्य में बहुसंख्यक मेईतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने के मुद्दे पर पनपा तनाव 3 मई को तब हिंसा में तब्दील हो गया, जब इसके विरोध में राज्य भर में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ निकाले गए थे।
राज्य भर में हुई झड़पों में कम से कम 75 लोग मारे गए हैं। शाह ने कहा कि वह कुछ दिनों में मणिपुर का दौरा करेंगे।
सभी को न्याय मिलेगा, मैं खुद जाऊंगा मणिपुर- शाह
उन्होंने कहा, ‘मैं आपको केंद्र सरकार की ओर से आश्वस्त करना चाहता हूं कि सभी को न्याय मिलेगा और हम हिंसा में शामिल लोगों को नहीं छोड़ेंगे। मैं खुद कुछ दिनों के बाद मणिपुर जाऊंगा और वहां तीन दिन रहूंगा, मणिपुर में शांति स्थापित करने के लिए सभी से बात करूंगा, लेकिन शांति केवल मणिपुर के लोग ही ला सकते हैं।’
‘मणिपुर में संघर्ष एक भटकाव है’
उन्होंने रेखांकित किया कि पूर्वाेत्तर ने पिछले नौ वर्षों में शांति की ओर बड़े कदम उठाए हैं और मणिपुर में संघर्ष एक भटकाव है। शाह ने कहा, ‘मोदी के नेतृत्व में असम में शांति, प्रगति और समृद्धि (Peace, Progress and Prosperity) का एक नया युग आया है।
पूरे पूर्वाेत्तर में बुनियादी ढांचे के विकास और उसके साथ मुख्य भूमि के साथ Connectivity को बहुत महत्व दिया गया है। हमने सभी सशस्त्र समूहों के साथ बातचीत की है और उन सभी को एक-एक करके मुख्य धारा में लाने का काम किया है।’
‘अदालत के फैसले के कारण मणिपुर में हुई कुछ झड़पें’
उन्होंने आगे कहा, ‘पूर्वाेत्तर में लगभग 8,000 युवाओं को नरेंद्र मोदी सरकार और पूर्वाेत्तर (Narendra Modi Government and North East) की सरकारों द्वारा मुख्यधारा में लाया गया है। मैं मानता हूं कि पूरे पूर्वाेत्तर में एक बहुत बड़ा परिवर्तन हुआ है। मणिपुर में अदालत के फैसले के कारण कुछ झड़पें हुई हैं।’
हाईकोर्ट ने 27 मार्च को राज्य सरकार को दिया था निर्देश
मेईतेई समुदाय का मुद्दा (Meitei Community Issue) एक बार फिर तब ज्वलंत हो गया था, जब मणिपुर हाईकोर्ट ने बीते 27 मार्च को राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह मेईतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने के संबंध में केंद्र को एक सिफारिश सौंपे।
विरोध मार्च के दौरान भड़की जातीय हिंसा
ऐसा माना जाता है कि इस आदेश से मणिपुर के गैर-मेईतेई निवासी जो पहले से ही अनुसूचित जनजातियों की सूची में हैं, के बीच काफी चिंता पैदा कर दी थी, जिसके परिणामस्वरूप बीते 3 मई को निकाले गए एक विरोध मार्च के दौरान जातीय हिंसा (Ethnic Violence) भड़क उठी।