झारखंड

विधान-परिषद चुनाव में भाजपा के साख की परीक्षा

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधान परिषद की शिक्षक एवं स्नातक क्षेत्र की 11 सीटों के लिए 1 दिसम्बर को मतदान होना है। इस चुनाव में भाजपा पूरी ताकत के साथ मैदान में है।

कांग्रेस और सपा भी विधान परिषद चुनाव के जरिए अपनी सियासी ताकत को परखना चाहती है। बसपा ने इस चुनाव में कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखायी है।

बसपा ने तो प्रत्याशी भी नहीं खड़े किये। भाजपा पहली बार इस चुनाव में योजनाबद्घ तरीके से मैदान में है। यह चुनाव अब उसकी साख का सवाल भी बन रहे हैं।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव और संगठन के महामंत्री सुनील बसंल ने पूरे स्नातक एवं शिक्षक चुनाव की व्यूह रचना रची है।

स्वतंत्रदेव सिंह ने सभी सीटों पर जाकर स्नातक मतदाताओं के साथ शिक्षक वोटरों से बातचीत की है।

प्रदेश अध्यक्ष ने शिक्षक व स्नातक क्षेत्र के चुनाव प्रचार में कार्यकर्ताओं से प्रत्येक मतदाता से संपर्क-संवाद बनाकर मतदान के दिन वोट डलवाने की जिम्मेदारी का निर्वहन करने को कहा।

इसके अलवा प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर मतदाता सम्मेलन आयोजित किए गए।

प्रदेश महामंत्री संगठन सुनील बंसल का बूथ प्रबंधन बेहतर बनाए रखने पर काफी जोर रहा है। मंत्रियों से लेकर विधायकों-सांसदों के संबंधित क्षेत्रों में भाजपा के उम्मीदवारों की जीत राह आसान बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गयी है।

भाजपा ने शिक्षकों के लिए केन्द्र और प्रदेश सरकार के लिए गए फैसलों व योजनाओं को पहुंचाने का प्रयास किया है। इसके साथ ही उन्होंने वादों का पिटारा भी खोल दिया है।

पार्टी की निगाहें बंटे हुए वोटो पर टिकी हुई हैं। ज्यादा बंटवारे के कारण भाजपा को अपनी जीत के आसार नजर आ रहे हैं।

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक पी.एन. द्विवेदी का कहना है, वैसे भाजपा हर चुनाव बड़ी गंभीरता के साथ लड़ती है। लेकिन इस चुनाव में पहली बार बड़ी शिद्दत के साथ लगी है।

अभी हाल में हुए उपचुनाव से उत्साहित भाजपा को अगर इस चुनाव में सफलता मिलती है तो एक नए प्रकार का इतिहास बनेगा। आने वाले चुनावों के लिए बल भी मिलेगा।

प्रदेश में 11 शिक्षक-स्नातक कोटे के विधान परिषद सदस्यों का कार्यकाल 6 मई 2020 को पूरा हो गया है। कोरोना संक्रमण के चलते इन सीटों पर चुनाव निर्धारित समय पर नहीं हो सके हैं।

इसी कारण यहां अब चुनाव हो रहे हैं। सत्ताधारी भाजपा की विधान परिषद में अपनी सदस्य संख्या बढ़ाने के लिए शिक्षक एवं स्नातक क्षेत्र की सीटों पर नजर है।

विधानसभा में दो-तिहाई से ज्यादा बहुमत वाली भाजपा सरकार विधान परिषद में अल्पमत में है। प्रदेश में कुल 100 विधान परिषद सीटें हैं।

इनमें से भाजपा के पास महज 19 हैं, जबकि सपा के पास 52 और बसपा के पास 8 विधान परिषद सदस्य हैं। इसके अलावा कांग्रेस के पास दो हैं जिनमें से एक सदस्य दिनेश प्रताप सिंह भाजपा पाले में हैं।

Back to top button
Close

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker