Bokaro News: बोकारो में 117 एकड़ वन भूमि घोटाले की जांच के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 22 अप्रैल 2025 को शुरू हुई छापेमारी और सर्वेक्षण को 23 अप्रैल को समाप्त किया। इस दौरान बिहार के बांका जिले से 1.30 करोड़ रुपये नकद जब्त किए गए, साथ ही जमीन हेराफेरी से संबंधित महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद किए गए।
ED ने बोकारो, रांची, रामगढ़, और बिहार के 17 ठिकानों पर छापेमारी की और तीन स्थानों पर सर्वे किया। जांच का दायरा राजबीर कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड, इसके मालिक पुनीत अग्रवाल, जमीन खरीद-बिक्री में शामिल व्यक्तियों, और खरीदारों तक फैला।
इसके अलावा, चास के पूर्व अंचल अधिकारियों और सब-रजिस्ट्रार भी जांच के घेरे में रहे।
पश्चिम बंगाल के पुरुलिया रजिस्ट्री कार्यालय में सर्वे के दौरान ED ने बोकारो की वन भूमि से जुड़े दस्तावेज जब्त किए, जो घोटाले में फर्जीवाड़े की पुष्टि करते हैं। बोकारो के डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर (DFO) कार्यालय और अंचल कार्यालय में भी सर्वे हुआ, जहां जमीन से संबंधित पत्र और रिकॉर्ड बरामद किए गए।
यह घोटाला टेटूलिया मौजा में 103-117 एकड़ संरक्षित वन भूमि की कथित अवैध खरीद-बिक्री से जुड़ा है, जिसे भूमाफिया ने कथित तौर पर प्रशासनिक अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर निजी कंपनियों को हस्तांतरित किया। मामला मार्च 2024 में बोकारो के सेक्टर-12 थाने में दर्ज एक शिकायत से शुरू हुआ, जिसके बाद झारखंड CID ने जांच शुरू की।
ED ने रांची के हरि ओम टावर में राजबीर कंस्ट्रक्शन के कार्यालय और बांका में व्यवसायी विमल अग्रवाल के आवास व कार्यालय पर भी छापा मारा। जांच में पता चला कि 2013 में चास पुलिस स्टेशन क्षेत्र की वन भूमि को गलत तरीके से पुराना परती भूमि दर्ज किया गया था।
बोकारो पुलिस और CID के सहयोग से ED अब जब्त दस्तावेजों की जांच कर रही है, ताकि घोटाले में शामिल अन्य लोगों और अधिकारियों का पता लगाया जा सके।