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आखिर क्यों GST के दायरे में नहीं लाया जा रहा फ्यूल?

पेट्रोलियम उत्पादों के दामों पर काबू पाने विश्लेषकों ने भी यह सुझाव दिया

नई दिल्ली: देश में बीते कुछ सालों में पेट्रोल-डीजल के दाम अंधाधुंध बढ़े हैं। मंगलवार को पेट्रोल-डीजल अपने सार्वका‎लिक उच्च स्तर पर चल रहे हैं।

देश के अधिकतर राज्यों में पेट्रोल 100 रुपए प्रति लीटर के पार चल रहा है और डीजल भी पीछे-पीछे है, ऐसे में काफी वक्त से पेट्रोल-डीजल को जीएसटी यानी गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स एक्ट के तहत लाने की मांग हो रही है।

बहस इसलिए भी है क्योंकि जब जीएसटी लागू किया जा रहा था, तो तेल और गैस को भी इसके दायरे में लाए जाने की बात की गई थी।

पेट्रोलियम उत्पादों के दामों पर काबू पाने के लिए विश्लेषकों ने भी यह रास्ता अख्तियार करने का सुझाव दिया है, लेकिन सरकार इस पर ऐसी कोई मंशा नहीं दिखा रही है।

अभी सरकार ने फिर से कहा कि उसकी पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की कोई योजना नहीं है।

उसने यह भी बताया कि अभी तक जीएसटी परिषद ने तेल और गैस को जीएसटी के दायरे में शामिल करने की सिफारिश नहीं की है।

लोकसभा में पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने के. मुरलीधरन, भर्तृहरि महताब, सुप्रिया सुले और सौगत राय आदि सदस्यों के प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।

सदस्यों ने पूछा था, ‘क्या डीजल, पेट्रोल की कीमतों पर नियंत्रण के लिये पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाने की योजना है? मंत्री ने जवाब दिया ‎कि अभी सरकार की योजना इन उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने के ‎लिए नहीं है।

अभी तक जीएसटी परिषद ने तेल और गैस को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में शामिल करने की सिफारिश नहीं की है।’

इस साल बजट सत्र के दौरान राज्यसभा में बीजेपी सांसद सुशील कुमार मोदी ने उच्च सदन में वित्त विधेयक, 2021 पर चर्चा में भाग लेते हुए कहा था कि पेट्रोलियम उत्पादों पर केंद्र और राज्यों को सामूहिक रूप से पांच लाख करोड़ रुपए मिलते हैं।

उन्होंने इस मांग को अव्यवहारिक बताते हुए कहा था कि इससे राज्यों को करीब दो लाख करोड़ रुपए का नुकसान होगा और उसकी भरपाई कैसे होगी।

एक रिपोर्ट मार्च में आई थी, जिसमें कहा गया था कि अगर पेट्रोल को जीएसटी के दायरे में लाया जाता है तो इसका खुदरा भाव इस समय भी कम होकर 75 रुपये प्रति लीटर तक आ सकता है और डीजल का दाम भी कम होकर 68 रुपये लीटर पर आ सकता है।

ऐसा होने से केन्द्र और राज्य सरकारों को केवल एक लाख करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होगा जो कि जीडीपी का 0.4 प्रतिशत है।

इस गणना में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम को 60 डालर प्रति बैरल और डॉलर-रुपये की विनिमय दर को 73 रुपये प्रति डॉलर पर माना गया था। ध्यान दें कि यह रिपोर्ट मार्च के पहले हफ्ते की है.

उस वक्त दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 91.17 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 81.47 रुपए प्रति लीटर थी और आज राजधानी में पेट्रोल 101.84 रुपये प्रति लीटर और डीजल 89.87 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है।

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