नई दिल्ली: कोरोना से लोगों की जान बचाने वाले डॉक्टर भी बड़ी संख्या में संक्रमित हो रहे हैं।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए)ने शनिवार को एक बयान जारी कर कहा कि कोरोना की दूसरी लहर में 420 डॉक्टरों की अभी तक मौत हो चुकी है। इनमें से 100 डॉक्टर की मौत अकेले दिल्ली में हुई है।
आईएमए ने बीते गुरुवार को भी एक बयान जारी कर कहा था कि अभी तक सबसे अधिक डॉक्टरों की मौत बिहार में हुई है।
यहां दूसरी लहर में लगभग 80 डॉक्टरों की मौत हुई है। आईएमए के आंकड़ों को माने तो बिहार के 80 डॉक्टरों के अलावा दिल्ली में 73, उत्तर प्रदेश में 41, आंध्र प्रदेश में 22 और तेलंगाना में 20 डॉक्टरों की मौत हुई है।
आईएमए का दावा है कि पहली लहर के दौरान 748 डॉक्टरों की कोरोना संक्रमण से मौत हुई थी।
आईएमए के अध्यक्ष डॉ.जेए जयलाल ने एक बयान में कहा था कि आईएमए की देशभर में फैली शाखाओं से मिली जानकारी के आधार पर यह सूची तैयार की है।
वहीं इस मुद्दे पर शनिवार को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (दिल्ली एम्स) के पूर्व आरडीए अध्यक्ष व वर्तमान में यहां असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर अमरिंदर सिंह मल्ही ने बातचीत करते हुए कहा कि यह सच है कि बड़ी संख्या में डॉक्टर भी कोरोना की टपेट में आकर अपनी जान गवां रहे हैं।
मल्ही ने कहा कि कोरोना की पहली लहर से लेकर अभी तक लगभग 1150 से 1200 डॉक्टरों ने जान गंवाई है।
उन्होंने कहा कि जिन डॉक्टरों ने अपनी जान गंवाई है उन्हें उचित सम्मान मिलना चाहिए क्योंकि वो उसके हकदार हैं।
मल्ही ने कहा कि डॉक्टरों की ओर से उन्होंने केन्द्र सरकार के समाने पांच मांगे रखी हैं। वो मांगे इस प्रकार हैं।
पहली मांग, मृत डॉक्टरों के परिजनों को एक करोड़ का आर्थिक सहयोग दिया जाए।
दूसरी, मृतक डॉक्टर के परिजनों में से किसी एक को सरकारी नौकरी दी जाए, तीसरी, कोरोना मेमोरियल बनाया जाए, चौथी मृतक को कोरोना वारियर्स का ख़िताब दिया जाए और पांचवीं इन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जाए।
मल्ही ने कहा कि ऐसा देखा जा रहा कि मृत डॉक्टरों के परिजनों को समय पर आर्थिक मदद तक नहीं मिल पा रही है।
ऐसे में केन्द्र सरकार को इस विषय पर गंभीरता से सोचने की जरूरत है। जिससे मृत डॉक्टरों के परिजनों को न्याय मिल सके।