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दिल्ली हाईकोर्ट ने मीडिया को फिल्म इंडस्ट्री के लिए दी गाइडलाइन

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने कुछ मीडिया संगठनों को निर्देश दिया है कि वे अगले आदेश तक फिल्म इंडस्ट्री के खिलाफ अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म या अपने चैनलों पर कोई अपमानजनक कंटेंट नहीं डालेंगे। जस्टिस जेआर मिधा ने इस मामले पर अगली सुनवाई 25 मार्च को करने का आदेश दिया।

14 दिसंबर 2020 को प्रोडक्शन हाउस की ओर से वकील राजीव नय्यर ने कहा था कि कोर्ट मीडिया संगठनों को अपमानजनक रिपोर्टिंग नहीं करने और प्रोग्राम कोड का पालन करने को कहकर इस याचिका का निस्तारण कर सकती है।

9 नवंबर 2020 को कोर्ट ने संबंधित मीडिया संगठनों को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था। सुनवाई के दौरान राजीव नय्यर और अखिल सिब्बल ने कहा था कि फिल्म इंडस्ट्री को न्यूज चैनलों ने kingpin of Bollywood, Pakistani funded, nepotistst इत्यादि नामों से पुकारा।

राजीव नय्यर ने कहा था की न्यूज़ चैनलों ने अपने रिपोर्टिंग में कहा कि दीपिका पादुकोण ने माल देने के लिए कहा था। उन्होंने कहा था कि न्यूज़ चैनलों ने कहा था कि क्या शाहरुख खान के खिलाफ राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के लिए कोई कार्रवाई की जाएगी।

सुनवाई के दौरान अखिल सिब्बल ने कहा था कि न्यूज़ चैनलों को अपमानजनक रिपोर्टिंग करने पर रोक लगाई जानी चाहिए।

मीडिया स्व-नियमन का पालन नहीं कर रही है। उन्होंने केस के लंबित होने के दौरान किसी मामले की मीडिया रिपोर्टिंग पर कोर्ट के फैसलों का उदाहरण दिया।

उन्होंने कहा था कि न्यूज़ ब्रॉडकास्ट स्टैंडर्ड अथॉरिटी ने भी कहा था कि सच्चाई जाने का मतलब यह नहीं है की मीडिया समूह किसी अभियुक्त के अधिकारों का उल्लंघन करें और उसकी जिंदगी तबाह कर दे।

तब कोर्ट ने पूछा था कि क्या आपने मुआवजे की भी मांग की है। तब नायक ने कहा था कि नहीं। तब कोर्ट ने कहा था कि आप ट्रायल के दौरान मुआवजे की मांग कर सकते हैं।

याचिका बॉलीवुड के 38 प्रोड्यूसर्स ने दायर किया है। याचिका में कहा गया है कि ये मीडिया संस्थान बॉलीवुड के लोगों के निजता के अधिकार का उल्लंघन कर रहे हैं।

बॉलीवुड के इन प्रोड्यूसर्स ने अपनी याचिका में कहा है कि मीडिया संस्थानों के रिपोर्टर्स ने अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत की रिपोर्टिंग करते समय फिल्म इंडस्ट्री पर ड्रग्स का धंधा करने के आरोप लगाए।

याचिका में कहा गया है कि इन मीडिया संस्थानों में डर्ट (dirt), गंदगी (filth), मैल (scum), ड्रगी (druggies) जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते हुए न्यूज रिपोर्ट में कहा गया कि बॉलीवुड की गंदगी को साफ करना जरुरी है। मीडिया संस्थानों ने अपनी रिपोर्ट में फिल्म इंडस्ट्री को देश का सबसे गंदा इंडस्ट्री करार दिया है।

याचिका में कहा गया है कि मीडिया संस्थानों की गैरजिम्मेदाराना रिपोर्टिंग की वजह से बॉलीवुड से जुड़े लोगों का जीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है।

वो भी ऐसे समय में जब कोरोना के संकट की वजह से राजस्व और अवसरों की काफी कमी हो गई है।

याचिका में कहा गया है कि बॉलीवुड के लोगों की निजता का उल्लंघन किया गया है और उनकी छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की गई है। रिपोर्टिंग इस तरह की जा रही है जैसे बॉलीवुड के लोग अपराधी हों।

याचिका में कहा गया है कि मीडिया संस्थानों के कुछ रिपोर्टर्स को पहले भी कोर्ट ने गैरजिम्मेदारा रिपोर्टिंग के लिए दंडित किया है। प्रोड्यूसर्स का दावा है कि कुछ रिपोर्टर्स को कोर्ट ने गलत खबर चलाने का भी दोषी पाया है।

याचिका में कहा गया है कि कुछ न्यूज़ चैनल केबल टेलीविजन नेटवर्क रेगुलेशन एक्ट की धारा 5 के प्रोग्राम कोड का खुलेआम उल्लंघन कर रहे हैं। वे समानांतर जांच चला कर कोर्ट की तरह काम कर न्याय व्यवस्था का मखौल उड़ा रहे हैं।

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