खूंटी: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) ने कहा कि सिर्फ रोटी, कपड़ा और मकान काफी नहीं है। शिक्षा और रोजगार जैसी सरकारी योजनाओं का भी लाभ लेना होगा।
इसके लिए आपको सरकार के पास जाना होगा। साथ ही कहा कि झारखंड की परिश्रमी महिलाएं देश के विकास में योगदान देने में सक्षम हैं। वे झारखंड दौरे के दूसरे दिन गुरुवार को खूंटी के बिरसा मुंडा कॉलेज (Birsa Munda College) में महिला स्वयं सहायता समूह सम्मेलन को संबोधित कर रही थीं।
उन्होंने कहा कि उन्हें आदिवासी महिला (Tribal Woman) होने पर गर्व है। देश में अपने क्षेत्रों में बेटियों और महिलाओं ने अमूल्य योगदान दिया है। महिलाएं नेतृत्व कर रही हैं।
लोकतंत्र की शक्ति के कारण आज वे राष्ट्रपति के रूप में लोगों के बीच मौजूद हैं। बेटियां, बेटों से अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं। राष्ट्रपति भवन (President’s House) में जब पुरस्कार वितरण करते हुए उन्हें महिलाओं की अदम्य ताकत का एहसास हुआ है।
मैं ओडिशा की लेकिन शरीर में खून झारखंड का
राष्ट्रपति ने कहा कि मैं ओडिशा की हूं लेकिन मेरे शरीर में झारखंड का खून बह रहा है। उन्होंंने देश की आजादी में बड़ा योगदान देने वाले भगवान बिरसा मुंडा और फूलो-झानो को याद किया। राष्ट्रपति ने स्वयं सहायता समूहों (Swaym Sahatya Samhu) को मिलने वाली सुविधाओं की बात की।
साथ ही कहा कि महिला समूह के उत्पादों को मैंने देखा। उनके चेहरे की मुस्कान देखी। उन्होंने कहा कि जिस घर में जोबा मांझी (Joba Manjhi) बहू बनकर गयी हैं उसी घर से मेरी दादी थीं।
इसलिए झारखंड से मेरा बहुत लगाव है। मेरा सौभाग्य है कि मैं झारखंड की राज्यपाल रही और आज मैं यहां मेहमान बनकर आयी हूं।
हमें अपने संस्कृति को बचाए रखना है
राष्ट्रपति ने आदिवासी संस्कृति और परंपराओं के संरक्षण पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत में 700 जनजातियां हैं लेकिन सबकी संस्कृति और परंपरा अलग है।
हमें अपनी संस्कृति को बचाये रखना है, नहीं तो हम दुनिया की भीड़ में खो जायेंगे। अपने बच्चों को भी हमें यही संस्कार देना है। जब हम आगे बढ़ते हैं तो पीछे भी देखना जरूरी है।
उन्होंने कहा कि झारखंड का जितना विकास होना चाहिए उतना नहीं हुआ है। यह देखकर दुख होता है। 22 वर्ष हो गए राज्य अलग बने हुए, अधिकांश आदिवासी ही मुख्यमंत्री रहे। इसके बावजूद यह स्थिति है।
राष्ट्रपति ने कहा कि जनजातीय समाज कई क्षेत्र में उदाहरण पेश करते हैं। हमलोग बिना दहेज के अपने घरों में बहू लाते हैं और दूसरे घरों में बिना दहेज के बेटी देते हैं।
दूसरे समाज इसका अनुसरण नहीं कर पाते। देश में आज तक दहेज प्रथा खत्म नहीं हो पायी है। दहेज एक राक्षस है। इस संबंध में जनजातीय समाज का उदाहरण पूरे देश में अनुकरणीय है।
राष्ट्रपति ने कहा कि यह सम्मेलन जनजातीय महिलाओं के लिए मील का पत्थर साबित होगा। यह कार्यक्रम राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में जनजातीय समुदाय की महिलाओं के योगदान आनेवाले पीढ़ी को प्रेरित करेगा।
आनेवाले दिनों में महिला समूहों के उत्पाद (Products of Women’s Groups) को बाजार मिलेगा। उम्मीद है कि सम्मेलन से महिलाओं में जागरुकता फैलेगी और आने वाले समय में महिलाएं विकास की गाथा लिखेंगी। उन्होंने संबोधन के दौरान निक्की प्रधान, सलीमा टेटे, दीपिका कुमारी के नाम का भी उल्लेख किया।
इससे पूर्व उन्होंने महिलाओं द्वारा तैयार सामग्रियों का अवलोकन किया और एक-एक स्टॉल पर जाकर हर उत्पाद की जानकारी ली।