झारखंड

हसीना ने मजबूत अंतर्राष्ट्रीय जलवायु गठबंधन के लिए किया आह्वान

ढाका: बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने 2050 तक कार्बन तटस्थता की ओर प्रभावी ढंग से बढ़ने के लिए सकारात्मक और मजबूत अंतर्राष्ट्रीय जलवायु गठबंधन बनाने का आह्वान किया है।

हसीना ने बुधवार को वर्चुअल थिम्पू एम्बिशन समिट: मोमेंटम फॉर ए 1.5 ओसी वल्र्ड में पेरिस जलवायु सौदे की पांचवीं वर्षगांठ के मौके पर यह आह्वान किया।

अपने रिकॉर्डेड भाषण में उन्होंने लाखों लोगों के शरणार्थी बनने के लिए जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों को जिम्मेदार बताया।

उन्होंने कहा कि कोरोनावायरस महामारी ने दुनिया को सिखाया है कि वैश्विक संकट से निपटने का एकमात्र तरीका मजबूती से सामूहिक प्रतिक्रिया देना ही है।

यूएन फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसीसी) में एलडीसी समूह के अध्यक्ष भूटान द्वारा यह शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया था।

इसके वक्ताओं में भूटान के प्रधानमंत्री लोटे त्शेरिंग, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस, सीओपी26 के अध्यक्ष आलोक शर्मा और यूएनएफसीसीसी के कार्यकारी सचिव पेट्रीसिया एस्पिनोसा शामिल थे।

हसीना ने आग्रह किया कि बहु-पक्षीय बैंकों और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों को रियायती वित्त और ऋण राहतों के जरिए जलवायु वित्तपोषण के अधिक प्रभावी प्रावधान करने चाहिए।

सभी को इसके लिए जरूरी टेक्नॉलॉजी तक पहुंच सुनिश्चित करना चाहिए।

उन्होंने कहा, विश्व के नेताओं ने पेरिस में सीओपी-21 जलवायु शिखर सम्मेलन के दौरान वैश्विक तापमान में 1.5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि को बनाए रखने के लक्ष्य पर सहमति जताई थी।

हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि उस लक्ष्य को प्राप्त करने के हमारे मौजूदा प्रयास नाकाफी हैं। हमें एक शक्तिशाली योजना बनाने की जरूरत है।

प्रीमियर ने दक्षिण एशिया को जलवायु-प्रेरित प्राकृतिक आपदाओं के लिए सबसे संवेदनशील क्षेत्र बताया।

उन्होंने कहा कि अगर समुद्र में एक मीटर की ऊंचाई बढ़ जाती है, तो तटीय और छोटे द्वीप देशों में लाखों लोग शरणार्थी बनने पर मजबूर हो जाएंगे।

हसीना ने कहा कि ग्लेशियल झील के फटने से, बादल फटने से या भारी बारिश से हिमालयी देशों जैसे भूटान, नेपाल और भारत के कुछ हिस्सों में भारी तबाही होगी।

उन्होंने कहा कि हालांकि बांग्लादेश का ग्लोबल वामिर्ंग में कोई योगदान नहीं है।

फिर भी बांग्लादेश सरकार इसके लिए काफी प्रयास कर रही है। इसके लिए उन्होंने बांग्लादेश की जलवायु का लचीलापन बढ़ाने के लिए उनकी सरकार द्वारा किए गए प्रयासों के बारे में बताया।

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