Jharkhand liquor scam: शराब घोटाले के आरोपी निलंबित IAS अधिकारी विनय चौबे की याचिका पर शुक्रवार को झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई नहीं हो सकी। समय की कमी के कारण जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की बेंच में यह मामला टल गया। अब अगले सप्ताह सुनवाई होने की संभावना है। चौबे ने अपनी गिरफ्तारी, प्राथमिकी (FIR), और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) की कार्रवाई को चुनौती देते हुए इसे रद्द करने की मांग की है।
याचिका का विवरण
विनय चौबे ने अपनी याचिका में दावा किया है कि उनके खिलाफ ACB की कार्रवाई निराधार है और इस मामले में उनकी कोई संलिप्तता नहीं है। उन्होंने हाई कोर्ट से मांग की है कि उनके खिलाफ दर्ज FIR को रद्द किया जाए और उन्हें न्यायिक हिरासत से रिहा किया जाए। याचिका में यह भी कहा गया है कि ACB ने बिना ठोस सबूतों के उन्हें निशाना बनाया है।
क्या है मामला?
ACB ने 21 मई को विनय चौबे को शराब घोटाले से जुड़े एक मामले में पूछताछ के लिए बुलाया था। पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। यह घोटाला कथित तौर पर शराब नीति में अनियमितताओं और अवैध वित्तीय लेनदेन से संबंधित है, जिसमें करोड़ों रुपये की हेराफेरी का आरोप है। गिरफ्तारी के बाद झारखंड सरकार ने गंभीर आरोपों को देखते हुए चौबे को निलंबित कर दिया। वर्तमान में वह रांची की बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार में न्यायिक हिरासत में हैं।
ACB के आरोप
ACB का दावा है कि विनय चौबे ने अपने पद का दुरुपयोग कर शराब नीति में हेराफेरी की और इससे जुड़े अवैध लेनदेन में शामिल थे। जांच में कई कारोबारियों और मध्यस्थों के साथ उनके कथित संबंधों का खुलासा हुआ है। ACB ने उनके ठिकानों से कुछ दस्तावेज और डिजिटल साक्ष्य भी बरामद किए हैं, जिनकी जांच जारी है।
इस वजह से नहीं हुई सुनवाई
शुक्रवार को समयाभाव के कारण सुनवाई नहीं हो सकी, लेकिन जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की बेंच ने मामले को अगले सप्ताह के लिए सूचीबद्ध किया है। कोर्ट में ACB को अपने पक्ष और सबूत पेश करने होंगे। चौबे के वकील ने दलील दी है कि उनके मुवक्किल के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं हैं और यह कार्रवाई राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित है।