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कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने रांची ICAR कैंपस में बायोमास गैसीफायर इकाई का किया उद्घाटन

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ICAR Campus: झारखंड की कृषि, पशुपालन और सहकारिता मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने 19 मई 2025 को रांची के गढ़खटंगा स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR)-भारतीय कृषि जैवप्रौद्योगिकी संस्थान (IIAB) कैंपस का दौरा किया।

उन्होंने यहां बायोमास गैसीफायर सह बायोचार उत्पादन इकाई का उद्घाटन किया, जो कृषि अपशिष्ट से जैव ऊर्जा और बायोचार (जैविक खाद) बनाने में मदद करेगी। इस मौके पर मंत्री ने ICAR के ज्ञान और विज्ञान आधारित उन्नत कृषि प्रयासों की सराहना की और किसानों से इसे अपनाने की अपील की।

शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा, “आज का दौर ज्ञान और विज्ञान से जुड़कर कृषि में प्रगति का है। ICAR किसानों को प्रशिक्षण और विकास के लिए शानदार काम कर रहा है। राज्य सरकार ने संस्थान के लिए 124 एकड़ जमीन दी है, जबकि बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (BAU) को 700 एकड़ उपलब्ध कराए गए हैं।” उन्होंने जोर दिया कि आदिवासी-मूलवासी समुदाय की जमीन उनकी सबसे बड़ी पूंजी है, और इसका उपयोग राज्य के विकास और किसानों की समृद्धि के लिए होना चाहिए।

प्रक्षेत्र दिवस का आयोजन 

मंत्री ने लाह उत्पादन में किसानों की सफलता की तारीफ की और बताया कि सहकारिता विभाग की पांच एपेक्स सोसाइटी किसानों के उत्पादों को सही बाजार तक पहुंचाने में जुटी हैं। उन्होंने कहा, “किसानों को जागरूक और सशक्त होना होगा। वे गांवों और पंचायतों को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।”

ICAR कैंपस में अनुसूचित जनजाति परियोजना और राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) के तहत प्रक्षेत्र दिवस का आयोजन किया गया। इस दौरान 300 किसानों को बीज, उर्वरक, और अन्य कृषि सामग्री वितरित की गई। ICAR ने किसानों को जलवायु अनुकूल फसल चयन, उच्च पैदावार वाली किस्में, और टिकाऊ खेती के लिए प्रशिक्षण भी दिया।

कृषि और ग्रामीण आजीविका को बढ़ावा देगी

ICAR-भारतीय कृषि जैवप्रौद्योगिकी संस्थान, रांची, कृषि जैवप्रौद्योगिकी में अग्रणी अनुसंधान करता है। इसका मुख्य उद्देश्य पौधों, पशुओं, मछलियों, और माइक्रोबियल जैवप्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नवाचारों को बढ़ावा देना है। संस्थान मास्टर, डॉक्टोरल, और पोस्ट-डॉक्टोरल स्तर पर प्रशिक्षण देता है और छोटे-सीमांत किसानों को सशक्त बनाने के लिए केंद्र सरकार की योजनाओं को लागू करता है।

नवउद्घाटित बायोमास गैसीफायर सह बायोचार इकाई कृषि अपशिष्ट (जैसे भूसा, पत्तियां) को जैव ऊर्जा (बायोगैस) और बायोचार में बदलने में सक्षम है। बायोचार मिट्टी की उर्वरता बढ़ाता है और कार्बन को मिट्टी में संग्रहित कर जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद करता है। ICAR निदेशक डॉ. सुजय रक्षित ने बताया कि यह इकाई टिकाऊ कृषि और ग्रामीण आजीविका को बढ़ावा देगी।

ICAR ने मंत्री को जलवायु परिवर्तन के अनुकूल फसलों और तकनीकों पर चल रहे शोध की जानकारी दी। इसमें सूखा-सहिष्णु बीज, कम पानी वाली खेती, और जैविक खाद के उपयोग पर काम हो रहा है। यह प्रयास NICRA परियोजना (National Innovations in Climate Resilient Agriculture) का हिस्सा है, जिसकी हाल ही में नई दिल्ली में समीक्षा हुई थी।

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