नई दिल्ली: LAC पर चीन (China) को टक्कर देने के लिए सेना अपनी टैंक पावर (Tank Power) को कई गुना बढ़ा रही है, सेना ऊँची चोटियों पर अपनी इन्फेंट्री के साथ-साथ अपने Tax के बेड़े में तेज़ी से इजाफ़ा कर रही है।
जून 2020 में गलवान संघर्ष के बाद पहली बार भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख (Ladakh) की ऊंचाइयों पर अपने टैंकों को डिप्लोई किया था। इनमें T-90 और T-72 की रेजीमेंट्स शामिल हैं।
बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन ने एक दर्जन से ज्यादा तैयार किए ब्रिज
पिछले 3 सालों में लगातार इन टैंक्स की संख्या में इजाफ़ा हुआ है और अब जल्द ही High Altitude के लिए भारत में डिजाइन किए गए DRDO के लाइट टैंक जोरावर भी तैयार किए जा रहे हैं।
जल्द ही भारत के अपने हल्के लद्दाख में इन टैंकों की आवाजाही के लिए बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (Border Road Organization) ने एक दर्जन से ज्यादा ब्रिज तैयार किए हैं, जिन पर से हैवी आर्मर्ड व्हीकल गुजर कर लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (Actual Control) तक डेप्लॉय किए जा सकते हैं।
भारतीय सेना की आर्टिलरी रेजिमेंट ने भी सभी तरह के प्लेटफॉर्म्स को LAC पर किया डेप्लॉय
T-90 और T-72 के अलावा भारतीय सेना की आर्टिलरी रेजिमेंट ने भी अपने सभी तरह के प्लेटफॉर्म्स को लाइन आफ एक्चुअल कंट्रोल पर डेप्लॉय किया है। इनमें K9 वज्र भी शामिल हैं जो LAC पर तैनात है।
Zorawar Tanks को रोल आउट कर भारतीय सेना को सौंप देगा DRDO
DRDO के अधिकारियों के मुताबिक इस साल के अंत तक Zorawar Tanks को रोल आउट कर दिया जाएगा। DRDO इन टैंक्स को रोल आउट कर भारतीय सेना को यूसर ट्रायल के लिए सौंप देगा।
भारतीय सेना अगले साल तक Zorawar Tanks का हाई एल्टीट्यूड ट्रायल शुरू कर देगी जिसमें लेह लद्दाख (Ladakh) का इलाका शामिल है।
200 से ज्यादा जोरावर टैंक्स को नॉर्दर्न बॉर्डर के पास तैनाती करने का लक्ष्य
पहले हिस्से में DRDO लगभग 59 जोरावर तैयार करेगा और धीरे-धीरे इनकी संख्या को बढ़ाया जाएगा। भारतीय सेना 200 से ज्यादा Zorawar Tanks को नॉर्दर्न बॉर्डर के पास डेप्लाई करना चाहती है।
मौजूदा Tanks का वजन 45 से 50 टन तक होता है और यही वजह है कि उन्हें ऊंचाइयों पर लाने ले जाने में वक्त लग सकता है, जबकि लाइट टैंक का वजन महज 25 दिन तक है और इसे कम वक्त में एक जगह से दूसरी जगह डिप्लोई किया जा सकता है।