रांची: झारखंड अभिभावक संघ के प्रदेश पदाधिकारी और जिला अध्यक्ष की वर्चुअल बैठक शुक्रवार को प्रदेश अध्यक्ष अजय राय की अध्यक्षता में हुई।
बैठक में प्रदेश पदाधिकारियों सहित विभिन्न जिला अध्यक्ष शामिल हुए।
बैठक में राज्य के कई जिले में स्कूलों द्वारा विभिन्न मदो में लिए जाने वाले फ़ीस को लेकर काफी आक्रोश दिखा और इस मुद्दे पर आर पार की लड़ाई लड़ने पर जोर दिया गया।
बैठक में स्कूल के टीचिंग नन टीचिंग स्टाफ के सम्बन्ध में भी चर्चा हुई।
बैठक में इस बात की चर्चा हुई की झारखण्ड सरकार द्वारा 25 जून 2020 को दिए गए आदेश को स्कूलो द्वारा दरकिनार किया जाना गंभीर मामला बनता है।
इस पर विभाग के वो तमाम आलाधिकारियों के कार्यप्रणाली पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है जो इन स्कूलों के नोडल पदाधिकारी है जिनको समय समय पर नियम पालन कराने की जिम्मेवारी होती है।
अजय राय ने कहा कि आज राज्य के लाखों अभिभावक सरकार के साथ खड़े हैं लेकिन राज्य सरकार को भी अभिभावकों के दुःख दर्द को समझना होगा।
झारखंड में स्कूलों को सिर्फ ट्यूशन फीस लेने का आदेश जारी किया गया है।
लेकिन स्कूलो द्वारा आज हर तरह की फ़ीस की वसूली हो रही है जिसकी लाख शिकायत के बाद भी कही कोई कारवाई राज्य सरकार की ओर से नहीं हो पा रही है जो खेद का विषय है।
उन्होंने कहा कि स्कूलों को मालूम होना चाहिए की आज राज्य के अन्दर कई दर्जन स्कूल ऐसे है जो ना ही राज्य सरकार के नियम पर खरे उतरने की स्थिति में है और ना ही उनकी जिस बोर्ड से संबद्धता है उसपर खरे उतरेंगे।
राज्य सरकार अगर चाह ले तो कोई भी स्कूल हो उनकी सम्बद्धता रदद् करते देर नही लगेगी।
लेकिन पूर्व के अधिकारियों के सह के कारण इनका मन इतना बढ़ा हुआ है।
राय ने कहा कि कोई भी स्कूल राज्य सरकार से एनओसी लेते समय नो प्रॉफिट नो लॉस पर स्कूल चलाने की अनुमति लेता है और अपने हर साल का आय ब्यय की भी जानकारी उन्हें जिले के नोडल अधिकारी के पास देना होता है।
लेकिन आज कितने स्कूल इसको कर रहे है यह जांच का विषय है।
आज सरकार को चाहिए वो नियम कानून का कितना पालन कर पा रहे है उसकी समीक्षा करे ताकि सही वास्तुस्थिति सामने आए।