झारखंड

झारखंड : नक्सली बुद्धेश्वर उरांव के खिलाफ तीन जिलों के थाने में दर्ज हैं 80 मामले

गुमला: दो दशक से क्षेत्र में नक्सलवाद की जड़ें मजबुत करने तथा अपनी गतिविधियों से पुलिस महकमे के लिए चुनौती बने प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा (माओवादी) के 15 लाख के इनामी रीजनल कमांडर सह प्रवक्ता बुद्धेश्वर उरांव का मारा जाना पुलिस के लिए एक बड़ी कामयाबी है।

बुद्धेश्वर उरांव की सक्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उसके खिलाफ राज्य के गुमला, सिमडेगा व लातेहार जिला में भारतीय दंड विधान, सीएलए एक्ट, आर्म्स एक्ट व विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के विभिन्न संगीन धाराओं के तहत कुल 80 मामले दर्ज हैं।

प्राप्त जानकारी के अनुसार बुद्धेश्वर उरांव के खिलाफ गुमला जिला अंतर्गत गुमला थाना में 15, रायडीह थाना में 05, बिशुनपुर थाना में 08, घाघरा थाना में 09, चैनपुर थाना में 14, गुरदरी थाना में 02, सिसई थाना में 03, डुमरी थाना में 01, जारी थाना में 01, पालकोट थाना में 04, व कुरूमगढ़ थाना में 02 , सिमडेगा जिला अंतर्गत सिमडेगा थाना में 07, कोलेबीरा थाना में 05,जलडेगा थाना में 02 व बानो थाना में 01 तथा लातेहार जिला के महुवाडांड़ थाना में 01 कुल 80 मामले दर्ज है।

पुलिस महकमा द्वारा बुद्धेश्वर उरांव की गिरफ्तारी के लिए कई बार विशेष अभियान चलाया गया। मगर वह बार-बार बच निकलता था।

इस बार संगठन के रीजनल कमांडर सह प्रवक्ता बुद्धेश्वर उरांव बारडीह पंचायत के केरागानी, कोचागानी व मरवा जंगल के बीच में अपने दस्ते के साथ छिपा हुआ था।

जिस जगह पर वह छिपा हुआ था, उस रास्ते पर नक्सलियों द्वारा जगह-जगह लैंड माइंस बिछाया गया था।

सुरक्षा बल बुद्धेश्वर से सेफ जोन में पहुंचने के लिए प्रयासरत था। मगर जंगल में लैंड माइंस की वजह से सुरक्षा बलों को आगे बढ़ने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। सुरक्षा बल फूंक-फूंक कर कदम रख रही थी।

इसके बावजूद लैंड माइंस के चपेट में आने से आईइडी स्पेशलिस्ट श्वान द्रोण शहीद हो गया था। वहीं विस्फोट के चपेट में आने से डॉग हैंडलर विश्वजीत कुंभकार भी गंभीर रूप से घायल हो गये थे।

दूसरे दिन रामदेव मुंडा नामक एक ग्रामीण की भी आईइडी ब्लॉस्ट में मौत हो गई। गुरूवार की सुबह सुरक्षा बलों ने जान जोखिम में डाल कर फिर धावा बोला।

दोनो ओर से करीब 150 राउंड गोलियां चली। इस दौरान बुद्धेश्वर उरांव को सिर व पैर में दो गोलियां ल गी और वह मौके पर ही ढेर हो गया।

पुलिस की इस सफलता में एसपी हरदीप पी जनार्दनन,कोबरा बटालियन के राजीव कुमार, सुरेंद्र मेहरा,अनिल मिंज,संजय किस्पोट्टा व जिला पुलिस बल की सराहनीय भूमिका रही।

नक्सली हिंसा का रास्ता छोड़ मुख्यधारा से जुड़ें : एसपी

गुमला एसपी हरदीप पी जनार्दनन ने मीडिया के माध्यम से तमाम नक्सलियों से अपील करते हुए कहा कि वे हिंसा का रास्ता छोड़ कर मुख्य धारा से जुड़ें।

सरकार की पुनर्वास नीति के तहत मिलने वाली सभी सुविधाएं उन्हें प्रदान की जाएगी। फिर भी वे हिंसा का रास्ता नहीं छोड़ते तो उनका अंजाम भी बुद्धेश्वर उरांव जैसा ही होगा।

श्री जनार्दनन ने पुलिस को मिली जोरदार सफलता के लिए अभियान में शामिल सभी पदाधिकारियों व जवानों को बधाई दी।

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