Jharkhand News: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को वक्फ संशोधन कानून 2025 की संवैधानिकता पर चल रही सुनवाई में कहा कि कोई भी व्यक्ति सरकारी जमीन पर स्वामित्व का दावा नहीं कर सकता। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने CJI बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ के सामने दलील दी कि सरकार को वक्फ घोषित अपनी संपत्ति वापस लेने का कानूनी अधिकार है।
मेहता ने कहा, “वक्फ एक इस्लामी अवधारणा है, लेकिन यह इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं। यह दान के अलावा और कुछ नहीं, जो हर धर्म में होता है, पर किसी धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं।”
‘वक्फ बाय यूजर कोई मौलिक अधिकार नहीं’
मेहता ने सुप्रीम कोर्ट के एक पुराने फैसले का हवाला देते हुए कहा कि सरकार वक्फ घोषित संपत्ति को वापस ले सकती है। उन्होंने वक्फ बाय यूजर (लंबे समय तक उपयोग से वक्फ का दावा) को मौलिक अधिकार मानने से इनकार किया और कहा, “कानून से मिला अधिकार कानून से ही वापस लिया जा सकता है।
1923 से चली आ रही बुराई को खत्म करने के लिए यह संशोधन लाया गया।” मेहता ने जोर देकर कहा कि सरकार 140 करोड़ नागरिकों की संपत्ति की संरक्षक है और उसका दायित्व सार्वजनिक जमीनों का अवैध उपयोग रोकना है।
याचिकाओं पर सवाल, ‘झूठी कहानी फैलाई जा रही’
मेहता ने वक्फ संशोधन कानून 2025 के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि कोई भी प्रभावित पक्ष सीधे कोर्ट नहीं आया, न ही किसी ने संसद की कानून बनाने की शक्ति को चुनौती दी। मेहता ने आरोप लगाया कि “वक्फ दस्तावेज न देने पर संपत्ति जब्त करने की झूठी कहानी” फैलाई जा रही है।
उन्होंने कहा, “कुछ याचिकाकर्ता पूरे मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व करने का दावा नहीं कर सकते। हर हितधारक की बात सुनकर ही यह कानून बनाया गया।”
वक्फ संशोधन कानून 2025 क्या है?
वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 को 8 अगस्त 2024 को लोकसभा में पेश किया गया और इसे 44 सदस्यीय संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजा गया। फरवरी 2025 में संसद ने इसे कानून बनाया। यह कानून वक्फ बोर्ड की शक्तियों को सीमित करता है, गैर-मुस्लिमों को बोर्ड में शामिल करने की अनुमति देता है, और वक्फ संपत्तियों का डिजिटल रजिस्ट्रेशन अनिवार्य करता है।
इसमें जिला कलेक्टर को वक्फ संपत्तियों की जांच का अधिकार दिया गया है, और “वक्फ बाय यूजर” की अवधारणा को हटाया गया है।