Ranchi News: झारखंड की औद्योगिक नगरी जमशेदपुर की लोयोला स्कूल की छात्रा शांभवी जायसवाल ने ICSE कक्षा 10वीं की बोर्ड परीक्षा 2025 में 100 प्रतिशत अंक हासिल कर पूरे देश में प्रथम स्थान प्राप्त किया है।
सभी विषयों में 100 में से 100 अंक प्राप्त कर शांभवी ने न केवल जमशेदपुर, बल्कि पूरे झारखंड और भारत के लिए एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। उनकी इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर परिवार, स्कूल, और समुदाय में खुशी की लहर दौड़ गई है।
बिना कोचिंग, सेल्फ स्टडी से मिली सफलता
शांभवी ने अपनी इस शानदार सफलता का श्रेय अपनी मेहनत, आत्मविश्वास, और समय के सही उपयोग को दिया। उन्होंने बिना किसी कोचिंग या ट्यूशन के पूरी तरह से सेल्फ स्टडी के दम पर यह मुकाम हासिल किया।
शांभवी ने बताया कि उन्होंने अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित रखा और नियमित अध्ययन के साथ एक अनुशासित दिनचर्या का पालन किया। उनकी यह उपलब्धि साबित करती है कि सच्ची लगन और मेहनत से कोई भी मंजिल असंभव नहीं है।
शांभवी के माता-पिता, दोनों ही चिकित्सा क्षेत्र के प्रख्यात विशेषज्ञ, उनकी सफलता के पीछे महत्वपूर्ण स्तंभ रहे हैं। उनके पिता, डॉ. अभिषेक जायसवाल, मेहर बाई टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल में रेडियोलॉजिस्ट हैं, जबकि मां, डॉ. ओजस्वी शंकर, मणिपाल टाटा मेडिकल कॉलेज में वरिष्ठ गायनोकोलॉजिस्ट और एसोसिएट प्रोफेसर हैं।
डॉ. अभिषेक जायसवाल ने कहा, “हमें विश्वास नहीं था कि हमारी बेटी हमें इतनी बड़ी खुशी देगी। यह ईश्वर की कृपा और उसकी लगन का फल है।” माता-पिता ने हमेशा शांभवी को पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित किया और उन्हें एक सकारात्मक माहौल प्रदान किया।
शांभवी की इस उपलब्धि ने लोयोला स्कूल, जमशेदपुर को भी गर्व का क्षण प्रदान किया है। स्कूल के प्रधानाचार्य, फादर विनोद फर्नांडिस एसजे ने इसे स्कूल के इतिहास का स्वर्णिम पल बताया।
उन्होंने कहा, “शांभवी की सफलता न केवल हमारी शैक्षणिक गुणवत्ता को दर्शाती है, बल्कि अन्य छात्र-छात्राओं के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बनेगी।” स्कूल प्रबंधन और शिक्षकों ने भी शांभवी की मेहनत और समर्पण की सराहना की।
शांभवी का सपना
शांभवी ने अपनी भविष्य की योजना साझा करते हुए बताया कि उनका सपना IIT मुंबई से कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करना है।
वह टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में योगदान देना चाहती हैं और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पहले से ही JEE Main और Advanced की तैयारी शुरू कर चुकी हैं।
उनकी इस स्पष्ट दृष्टि और दृढ़ संकल्प ने उनकी उपलब्धि को और भी प्रेरणादायक बना दिया है।