Ranchi News: झारखंड हाई कोर्ट की खंडपीठ ने बुधवार को असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए अनुसूचित जनजाति (ST) उम्म candidate मनोज कुमार कच्छप की नियुक्ति के मामले में JPSC की अपील (LPA) पर सुनवाई की।
चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। कच्छप की ओर से अधिवक्ता सब्यसाची ने पैरवी की।
क्या है मामला
जुलाई 2018 में JPSC ने नागपुरी भाषा के लिए ST बैक लॉग वैकेंसी के तहत असिस्टेंट प्रोफेसर के 4 पदों के लिए विज्ञापन (संख्या 5/2018) जारी किया था। मनोज कुमार कच्छप ने आवेदन किया, लेकिन तकनीकी कारणों से उनकी परीक्षा फीस JPSC के खाते में क्रेडिट नहीं हुई।
दस्तावेज स्क्रूटनी में उन्हें 85 में से 72.10 अंक मिले, लेकिन इंटरव्यू लिस्ट में उनका नाम शामिल नहीं हुआ। इसके खिलाफ कच्छप ने हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर की।
एकल पीठ का फैसला
हाई कोर्ट की एकल पीठ ने JPSC को कच्छप को इंटरव्यू में शामिल करने का निर्देश दिया, साथ ही कहा कि उनका रिजल्ट याचिका के अंतिम आदेश पर निर्भर करेगा। इंटरव्यू के बाद JPSC ने 23 दिसंबर 2021 को रिजल्ट जारी किया, लेकिन कोर्ट के आदेश के अनुसार एक पद का रिजल्ट रोक दिया।
JPSC ने सीलबंद लिफाफे में कच्छप के अंक कोर्ट में पेश किए, जिसमें पता चला कि वे पूरे इंटरव्यू में टॉप स्कोरर थे। एकल पीठ ने JPSC को चार हफ्तों में कच्छप की नियुक्ति का आदेश दिया, यह कहते हुए कि ST उम्मीदवारों से कई बार फीस नहीं ली जाती और कच्छप ने पहले ही इंटरव्यू दे दिया है।
JPSC की अपील
JPSC ने एकल पीठ के फैसले को खंडपीठ में चुनौती दी। JPSC का तर्क था कि कच्छप की फीस जमा नहीं हुई थी, क्योंकि उनके फॉर्म भरते समय वेबसाइट का स्टेटस ‘फेल’ हो गया था। इस कारण उन्हें इंटरव्यू के लिए नहीं बुलाया गया और अब उनकी नियुक्ति संभव नहीं है।