Jharkhand News: पश्चिमी सिंहभूम के मनोहरपुर थाना क्षेत्र के तरतरा गांव निवासी अह्लाद नंदन के परिजनों को सोमवार को उस समय गहरा सदमा लगा, जब ईरान से आए ताबूत में उनके बेटे के शव के बजाय किसी और का शव निकला।
अह्लाद नंदन ईरान की एक शिपिंग कंपनी में इंजीनियर थे और उनकी मृत्यु 27 मार्च 2025 को हो गई थी। इस घटना ने परिजनों के दुख को और बढ़ा दिया है, जो अब भी अह्लाद के शव का इंतजार कर रहे हैं।
शव की गलत पहचान
ताबूत में मिले शव की पहचान उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के खुटाहन थाना क्षेत्र के तिलवारी गांव निवासी शिवेंद्र प्रताप सिंह के रूप में हुई। अह्लाद के परिजनों की पहल पर शिवेंद्र के परिवार वालों ने शव की पुष्टि की।
फिलहाल, शव को चक्रधरपुर के रेलवे अस्पताल के शीतगृह में सुरक्षित रखा गया है और शिवेंद्र के परिजनों के आने के बाद उन्हें सौंपा जाएगा।
अह्लाद नंदन के शव का इंतजार
अह्लाद नंदन उम्र 25 वर्ष ईरान की BND यात शिप मैनेजमेंट सर्विसेज में 2024 से इंजीनियर के पद पर कार्यरत थे। 27 मार्च 2025 को उनकी मृत्यु हो गई, जिसकी सूचना परिजनों को अगले दिन दी गई।
शव को भारत भेजने की प्रक्रिया शुरू हुई, लेकिन लगभग एक महीने बाद जब ताबूत तरतरा गांव पहुंचा, तो उसमें शिवेंद्र प्रताप सिंह का शव निकला। इस गलती ने अह्लाद के परिवार को गहरे अवसाद में डाल दिया है, और वे अब भी अपने बेटे के शव का इंतजार कर रहे हैं।
भारतीय दूतावास और कंपनी पर लापरवाही का आरोप
अह्लाद के परिजनों ने ईरान में भारतीय दूतावास और BND यात शिप मैनेजमेंट सर्विसेज पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि दूतावास ने शव की पहचान और प्रक्रिया में उचित ध्यान नहीं दिया, जिसके कारण यह भयावह गलती हुई।
परिजनों ने मांग की है कि दूतावास तत्काल कार्रवाई कर अह्लाद के शव को भारत लाए और इस गलती के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।