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श्रावण मास भगवान शिव को बेहद प्रिय, 12 ज्‍योतिर्लिंगों में से किसी एक पर अवश्य करें रुद्राभिषेक

Sawan Special : सावन का महीना शिव भक्तों के लिए खास माना जाता है। कहा जाता है कि भगवान शिव को श्रावण मास बेहद प्रिय है।

पौराणिक धरनाओं के अनुसार सावन के महीने में शिवजी के 12 ज्‍योतिर्लिंगों में से किसी एक पर रुद्राभिषेक करने से भोलेबाबा बेहद प्रसन्‍न होते हैं और भक्‍तों की सभी इच्‍छाएं पूरी करते हैं।

इस मौके पर आज हम शिवजी के सभी द्वादश ज्योतिर्लिंगों के बारे में जानेंगे।

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग

Lord Shiva is very dear to the month of Shravan, must do Rudrabhishek on any one of the 12 Jyotirlingas

यह पृथ्वी का पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है। यह मंदिर गुजरात राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित है, इस मंदिर के बारे में मान्यता है, कि जब चंद्रमा को दक्ष प्रजापति ने शाप दिया था, तब चंद्रमा ने इसी स्थान पर तप करके इस शाप से मुक्ति पाई थी। ऐसा भी कहा जाता है कि इस शिवलिंग की स्थापना स्वयं चंद्रदेव ने की थी।

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग

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यह शिवलिंग आंध्रप्रदेश में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल नाम के पर्वत पर स्थित है। इस मंदिर का महत्व भगवान शिव के कैलाश पर्वत के समान माना गया है। धार्मिक शास्त्र इसके धार्मिक और पौराणिक महत्व की व्याख्या करते हैं। कहते हैं कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने मात्र से ही व्यक्ति को उसके सभी पापों से मुक्ति मिलती है। श्रावण मास में शिवजी के इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन और पूजन से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग

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यह शिवलिंग मध्यप्रदेश की धार्मिक राजधानी कही जाने वाली उज्जैन नगरी में स्थित है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की विशेषता है कि यह सृष्टि के एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है, यहां प्रतिदिन सुबह की जाने वाली भस्म आरती विश्व भर में प्रसिद्ध है। अकाल मृत्‍यु से रक्षा की कामना लेकर भक्‍त यहां महाकाल बाबा के दर्शन करने आते हैं।

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग

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मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध शहर इंदौर के समीप स्थित है, जिस स्थान पर यह ज्योतिर्लिंग स्थित है उस स्थान पर नर्मदा नदी बहती है और पहाड़ी के चारों ओर नदी बहने से यहां ऊं का आकार बनता है। ऊं शब्द की उत्पति ब्रह्मा के मुख से हुई है, इसलिए किसी भी धार्मिक शास्त्र या वेदों का पाठ ऊं के उच्चारण के साथ ही किया जाता है। यह ज्योतिर्लिंग ऊंकार अर्थात ऊं का आकार लिए हुए है, इस कारण इसे ओंकारेश्वर नाम से जाना जाता है।

केदारनाथ ज्योतिर्लिंग

केदारनाथ स्थित ज्योतिर्लिंग भी भगवान शिव के 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में आता है, यह उत्तराखंड में स्थित है। बाबा केदारनाथ का मंदिर बद्रीनाथ के मार्ग में स्थित है, केदारनाथ का वर्णन स्‍कंद पुराण एवं शिव पुराण में भी मिलता है। यह तीर्थ भगवान शिवजी को अत्यंत प्रिय है, जिस प्रकार कैलाश का महत्व है उसी प्रकार का महत्व शिवजी ने केदार क्षेत्र को भी दिया है।

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग

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महाराष्ट्र के पुणे जिले में सह्याद्रि नामक पर्वत पर स्थित है, भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग को मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर के विषय में मान्यता है कि जो भक्त श्रद्धा से इस मंदिर का दर्शन प्रतिदिन सुबह सूर्य निकलने के बाद करता है, उसके सात जन्मों के पाप दूर हो जाते हैं, तथा उसके लिए स्वर्ग के मार्ग खुल जाते हैं।

काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग

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यह ज्योतिर्लिंग भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में प्रमुख है। यह उत्तर प्रदेश के काशी नामक स्थान पर स्थित है। काशी सभी धर्म स्थलों में सबसे अधिक महत्व रखती है। काशी की मान्यता है कि प्रलय आने पर भी यह स्थान बना रहेगा, इसकी रक्षा के लिए भगवान शिवजी काशी को अपने त्रिशूल पर धारण कर लेंगे और प्रलय के टल जाने पर काशी को उसके स्थान पर पुन: रख देंगे।

त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग

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गोदावरी नदी के करीब महाराष्ट्र राज्य के नासिक जिले में स्थित है, इस ज्योतिर्लिंग के सबसे अधिक निकट ब्रह्मागिरि नामक पर्वत है। इसी पर्वत से गोदावरी नदी शुरू होती है। भगवान् शिवजी का एक नाम त्र्यंबकेश्वर भी है। कहा जाता है कि शिवजी को गौतम ऋषि और गोदावरी नदी के आग्रह पर यहां ज्योतिर्लिंग रूप में रहना पड़ा।

वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग

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वैद्यनाथ शिवलिंग का समस्त ज्योतिर्लिंगों की गणना में नौवां स्थान बताया गया है। भगवान श्री वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का मन्दिर जिस स्थान पर स्थित है, उसे वैद्यनाथ धाम कहा जाता है, यह स्थान झारखंड राज्य (पूर्व में बिहार ) के देवघर जिले में पड़ता है। मान्यता है कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र सभी व्याधियां समाप्त हो जाती हैं, तथा शिवलोक की प्राप्ति होती है।

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग

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यह ज्योतिर्लिंग गुजरात के बाहरी क्षेत्र में द्वारिका में स्थित है। धर्म शास्त्रों में भगवान शिवजी नागों के देवता है, और नागेश्वर का पूर्ण अर्थ नागों का ईश्वर है। द्वारकापुरी से भी नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की दूरी ज्यादा नहीं है, नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की महिमा में कहा गया है, कि जो व्यक्ति पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ यहां दर्शन के लिए आता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।

रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग

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तमिलनाडु राज्य के रामनाथपुरम नामक स्थान पर स्थित है। भगवान शिवजी के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक होने के साथ-साथ यह स्थान हिंदुओं के चार धामों में से एक भी है। इस ज्योतिर्लिंग के विषय में यह मान्यता है कि इसकी स्थापना स्वयं भगवान राम ने की थी। राम के द्वारा स्थापित होने के कारण ही इस ज्योतिर्लिंग को रामेश्वरम नाम दिया गया है।

घृष्णेश्वर महादेव

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यह प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर के समीप दौलताबाद के पास स्थित है, इस ज्योतिर्लिंग को घुश्मेश्वर के नाम से भी जाना जाता है, दूर-दूर से लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं और आत्मिक शांति प्राप्त करते हैं। भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से यह अंतिम ज्योतिर्लिंग है।

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