नई दिल्ली: जल्द ही कोविशील्ड व कोवाक्सिन की तरह स्पूतिनक-वी भी देश के ज्यादातर टीकाकरण केंद्रों पर उपलब्ध हो सकती है लेकिन उससे पहले जानकारी मिली है कि इस वैक्सीन के भंडारण के लिए कम से कम -18 डिग्री सेल्सियस तापमान युक्त फ्रिजर होना आवश्यक है।
अभी तक कोविशील्ड और कोवाक्सिन को दो से आठ डिग्री तापमान पर रखा जा रहा है। देश के दुर्लभ या फिर ग्रामीण क्षेत्रों में इतने कम तापमान में वैक्सीन रखने की व्यवस्था भी नहीं है।
हैदराबाद स्थित डॉ. रेड्डी फॉर्मा कंपनी ने बुधवार को बताया कि उनके पास पर्याप्त फ्रिजर नहीं होने के चलते रॉकवेल कंपनी के साथ करार किया है।
समझौते के तहत रॉकवेल कंपनी स्पूतनिक वैक्सीन रखने के लिए 750 फ्रिजर मुहैया कराएगा। स्पूतनिक-वी को सीमित परीक्षण के तौर पर देश में 14 मई को लॉन्च किया गया था और उसका वाणिज्यिक लॉन्च जून में होने की उम्मीद है।
जानकारी यह भी है कि अगले सप्ताह से अपोलो के अस्पतालों में स्पूतनिक-वी उपलब्ध हो सकती है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों तक यह वैक्सीन पहुंचना संभव नहीं है क्योंकि सरकारों ने कोविशील्ड और कोवाक्सिन के चलते स्टोरेज सुविधा पर काम नहीं किया।
इससे पहले फाइजर कंपनी के साथ भी यही मुद्दा था जिसे पिछले साल दिसंबर में अनुमति नहीं मिली थी।
कोविड-19 के टीके तापमान के प्रति काफी संवेदनशील हैं और इसलिए इसकी ताकत को बनाए रखने के लिए उपयुक्त तापमान बरकरार रखने की आवश्यकता होती है।
रॉकवेल ने कहा, ‘टीके की सुरक्षा और उसकी ताकत को बनाए रखने में वैक्सीन फ्रीजर काफी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
डॉ रेड्डीज के जरिये भारत में उपलब्ध स्पूतनिक वी टीके के लिए तापमान को -18 डिग्री सेल्सियस बनाए रखने की आवश्यकता है ताकि इस टीके की स्थिरता और ताकत बरकरार रह सके।
कंपनी ने कहा कि रॉकवेल ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रदर्शन, गुणवत्ता एवं सुरक्षा मानक के अनुसार इस वैक्सीन फ्रीजर का विकास किया है।
इसके लिए उसके तीन साल तक अनुसंधान एवं विकास प्रयासों के बाद अंतत: डेनमार्क में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अधिकृत एक प्रयोगशाला में अंतिम उत्पाद का परीक्षण किया गया। दो अलग-अलग आकार में इस फ्रीजर को प्रमाणित किया था।