HomeUncategorizedआंध्र-बिहार को स्पेशल स्टेट का दर्जा देने में सोच-समझ कर विचार करे...

आंध्र-बिहार को स्पेशल स्टेट का दर्जा देने में सोच-समझ कर विचार करे केंद्र सरकार

Published on

spot_img

Former Vice President of NITI Aayog Rajiv Kumar gave advice to the Center : नीति आयोग (Policy Commission) के पूर्व उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने यह सलाह दी है कि केंद्र सरकार को आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) और बिहार की विशेष दर्जा देने की मांग पर सोच समझकर विचार करना चाहिए।

केंद्र कोई भी फैसला जल्दबाजी में न करे, क्योंकि इससे यह एक मिसाल कायम हो जाएगी। फिर बाकी राज्यों में भी ऐसी मांग उठने लगेगी और केंद्र के वित्तीय संसाधनों पर हद से ज्यादा जोर पड़ सकती है। यह बात नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष ने कही।

आंध्रप्रदेश का विभाजन 2014 में हुआ और उससे अलग होकर एक नया राज्य तेलंगाना भारत के नक्शे पर उभरा।

अब आंध्र प्रदेश का कहना है कि इस बंटवारे में उसे राजस्व का नुकसान हुआ है क्योंकि हैदराबाद तेलंगाना (Telangana) की राजधानी बन गया। इस आधार पर आंध्र को विशेष राज्य का दर्जा दिया जाना चाहिए।

वहीं, बिहार 2005 से विशेष दर्जे की मांग कर रहा है, जब नीतीश कुमार पहली बार CM बने। बिहार की मांग के पीछे भी राज्य का बंटवारा ही है। 2000 में इससे अलग होकर झारखंड बना था, जो खनिज में समृद्ध है। इससे बिहार भी राजस्व के नुकसान की बात कहकर विशेष राज्य का दर्जा हासिल करना चाहता है।

नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने एक साक्षात्कार में कहा है कि बिहार और आंध्र प्रदेश काफी लंबे समय से विशेष राज्य के दर्जे की मांग कर रहे हैं। लेकिन, केंद्र को इस पर सोच समझकर विचार करने की जरूरत है।

केंद्र को आर्थिक मानदंडों की बारीकी से जांच करनी होगी, जिसके आधार पर यह मांग की जा रही है। उन्होंने कहा कि अगर आप जल्दबाजी में विशेष राज्य का दर्जा देते हैं, तो यह एक मिसाल कायम कर सकता है। फिर कई राज्य यही मांग करने लगेंगे, जिसे पूरा करना संभव नहीं होगा।

विशेष दर्जा प्राप्त राज्यों को केंद्र से अतिरिक्त वित्तीय सहायता मिलती है। किसी भी सामान्य राज्य के मामले में केंद्र सरकार (Central government) अपनी योजनाओं का सिर्फ 60 फीसदी खर्च उठाती है।

बाकी 40 फीसदी राज्य सरकार को देना होता है लेकिन, विशेष दर्जा वाले राज्यों के मामले में केंद्र योजना का 90 फीसदी बोझ उठाती है। राज्य को सिर्फ 10 फीसदी देना होता है।

ये राज्य अगर केंद्र से मिली राशि को एक साल में खर्च नहीं करते हैं तो वह अगले साल के लिए कैरी फॉरवर्ड हो जाती है। सामान्य राज्यों के मामले में राशि लैप्स कर जाती है।

spot_img

Latest articles

राहुल गांधी की क्वैशिंग याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई, 2 सप्ताह बाद अगली तारीख

Jharkhand News: झारखंड हाईकोर्ट में सोमवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी की क्वैशिंग याचिका...

साहिल उर्फ कुरकुरे के हत्यारे अमन राजा ने रांची सिविल कोर्ट में किया सरेंडर

Jharkhand News: रांची के हिंदपीढ़ी में साहिल उर्फ कुरकुरे की गोली मारकर हत्या के...

झारखंड विधानसभा मॉनसून सत्र : सूर्या हांसदा एनकाउंटर और RIMS-2 पर विपक्ष का हंगामा, भाजपा ने किया वॉकआउट

Jharkhand News: झारखंड विधानसभा के मॉनसून सत्र के दूसरे दिन सोमवार को सूर्या हांसदा...

झारखंड विधानसभा में महाधिवक्ता राजीव रंजन की पुस्तक ‘दिव्यता का स्पर्श’ का विमोचन

Jharkhand News: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और विधायक कल्पना सोरेन ने सोमवार, 25...

खबरें और भी हैं...

राहुल गांधी की क्वैशिंग याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई, 2 सप्ताह बाद अगली तारीख

Jharkhand News: झारखंड हाईकोर्ट में सोमवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी की क्वैशिंग याचिका...

साहिल उर्फ कुरकुरे के हत्यारे अमन राजा ने रांची सिविल कोर्ट में किया सरेंडर

Jharkhand News: रांची के हिंदपीढ़ी में साहिल उर्फ कुरकुरे की गोली मारकर हत्या के...

झारखंड विधानसभा मॉनसून सत्र : सूर्या हांसदा एनकाउंटर और RIMS-2 पर विपक्ष का हंगामा, भाजपा ने किया वॉकआउट

Jharkhand News: झारखंड विधानसभा के मॉनसून सत्र के दूसरे दिन सोमवार को सूर्या हांसदा...