भारत

भारत में भी कॉकटेल ड्रग का इस्तेमाल शुरू, दवा के इमरजेंसी उपयोग को दी गई मंजूरी

नई दिल्ली: भारत में भी कोरोना वायरस के खिलाफ कॉकटेल ड्रग (मोनोक्लोनल एंटीबॉडी) का इस्तेमाल शुरू हो गया है। इस दवा के इमरजेंसी यूज को भारत सरकार की तरफ से मंजूरी दे दी गई है।

दवाई की खास बात है कि यह कोरोना के बी.1.617 वैरिएंट पर भी असरदार है। यह वही वैरिएंट है, जो भारत में सबसे पहले पाया गया था।

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को जब कोरोना हुआ था, तब उन्हें भी यह दवा दी गई थी। अमेरिका में मोनोक्लोनल एंटीबॉडी स्टैंडर्ड ऑफ केयर में है। अब भारत में भी फॉर्मा कंपनी रॉश और सिप्ला ने कोरोनो के खिलाफ एंटीबॉडी कॉकटेल को लॉन्च किया है।

कंपनी ने अनुसार, एंटीबॉडी कॉकटेल का पहला बैच मिलना शुरू हो गया है। जानते हैं क्या है ये कॉकटेल ड्रग्स और कोरोना के मरीजों पर किस तरह से काम करती है।

भारत सरकार ने भी इसके आपातकालीन उपयोग की अनुमति दे दी है। यह दो दवाओं का मिश्रण है, इसलिए इसे कॉकटेल ड्रग्स कहा जाता है।

इसमें दो तरह की एंटीबॉडी ‘कासिरिविमैब’ और ‘इमडेविमैब’ का इस्तेमाल किया जाता है, ताकि वैरिएंट और म्यूटेशन के बाद भी यह काम करे। इसमें वायरस पर दो तरफ से हमला किया जाता है।

यह वायरस को मानवीय कोशिकाओं में जाने से रोकती है, जिससे वायरस को न्यूट्रिशन नहीं मिलता। इस तरह यह दवा वायरस को रेप्लिकेट करने से रोकती है। इन दोनों दवाओं को 600-600 एमजी मिलाने पर कॉकटेल दवा तैयार होती है।

मोनोक्लोनल एंटीबॉडी का पहली बार इस्तेमाल गुरुग्राम स्थित मेदांता अस्पताल में हुआ है। डॉक्टर सुशीला कटारिया का कहना है कि हम लोगों को यह इलाज ऑफर कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि कोरोना के जो नए मरीज डायग्नोस हुए हैं, उनके लिए यह इलाज है। डॉक्टर सुशीला ने बताया कि मोनोक्लोनल एंटीबॉडी, वायरस को न्यूट्रलाइज करने वाली एंटीबॉडी होती है।

आसान शब्दों में कहा जाए तो यह रेडीमेड इम्यूनिटी है, जिसे मरीज में डाल दिया जाता है और यह पहले दिन से ही काम करने लगती है।

भारत में इस दवा के वितरण का काम सिप्ला करेगी। हर मरीज के लिए इसकी एक खुराक की लागत 59 हजार 750 रुपये होगी। भारत में उपलब्ध होने वाले इस राशि कॉकटेल के 100,000 पैक में से प्रत्येक दो रोगियों के लिए इस्तेमाल किए जा सकेंगे।

मेदांता अस्पताल की इंटरनल मेडिसिन विभाग की डायरेक्टर डॉक्टर डॉक्टर सुशीला ने बताया कि जब कोई संक्रमित होता है, तो शरीर एंटीबॉडी बनाने में औसतन दो हफ्ते का समय लेता है।

लेकिन यह दवा बनी बनाई इम्यूनिटी है। कॉकलेट ड्रग्स बॉडी में जाते ही काम करना शुरू कर देती है और संक्रमित मरीज की बीमारी और लक्षण को बाहर आने से रोकती है।

कॉकलेट ड्रग्स बॉडी में जाते ही काम करना शुरू कर देती है। यह संक्रमित मरीज की बीमारी और लक्षण को बाहर आने से रोकती है।

यह एंटीबॉडी 3 से 4 हफ्ते तक चल जाती है। तब तक मरीज ठीक हो जाता है। इस दवा के सेवन से मरीज को इलाज के लिए एडमिट होने की नौबत कम आती है। इससे मौत को भी कम करने में मदद मिलती है।

Back to top button
Close

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker