इस्लामाबाद: Pakistan के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी (President Arif Alvi) ने सुप्रीम कोर्ट के रिव्यू ऑफ जजमेंट बिल 2023 (Review of Judgment Bill 2023) को अपनी मंजूरी दे दी है।
इसके बाद पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) के सुप्रीमो और पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ (Nawaz Sharif) की देश वापसी का रास्ता साफ होता दिख रहा है।
इससे नवाज शरीफ के प्रधानमंत्री पद के लिए अपनी अयोग्ता को चुनौती देने का रास्ता खुल गया है।
बता दें कि शरीफ को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने साल 2017 में प्रधानमंत्री पद के लिए अयोग्य करार दिया था।
इसके खिलाफ वह अपील नहीं कर पाए थे क्योंकि देश में शीर्ष कोर्ट के फैसले को चुनौती देने के लिए कोई कानून नहीं था।
कानून के विशेषज्ञों ने क्या कहा?
समा इंग्लिश (Sama English) के अनुसार इस नए कानून के तहत अब अनुच्छेद 184(3) के तहत आने वाले मामलों में अदालती फैसलों के खिलाफ अपील दायर की जा सकेगी।
कानून अब पिछले फैसलों पर भी लागू होता है। पाकिस्तान के राष्ट्रपति (President of Pakistan) ने शुक्रवार को नए कानून को मंजूरी दी।
कानूनी विशेषज्ञों ने कहा कि अब PML-N सुप्रीमो नवाज शरीफ और जहांगीर तरीन भी 60 दिनों के भीतर अपनी आजीवन अयोग्यताओं के खिलाफ अपील के अधिकार का प्रयोग कर सकेंगे।
‘…अनुच्छेद 25 का उल्लंघन होगा’
कानूनी विशेषज्ञ (Legal Expert) कामरान मुर्तजा का कहना है कि कानून से सभी को समान रूप से लाभ होगा।
उन्होंने कहा ‘कोई भी कानून के तहत एकमुश्त लाभ ले सकता है। भले ही वह समय बीत गया हो, एक व्यक्ति कह सकता है कि उस व्यक्ति को आज लाभ दिया गया था, कल मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ था। अन्यथा यह भेदभाव होगा और अनुच्छेद 25 का उल्लंघन होगा।’
रिपोर्ट के अनुसार, कानून आगे कहता है कि अपीलों की सुनवाई निर्णायक बेंच से बड़ी बेंच द्वारा की जाएगी।
पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल (Attorney General of Pakistan) मंसूर उस्मान अवान ने सुप्रीम कोर्ट को कानून की एक प्रति और अधिसूचना सौंपी है।
सुप्रीम कोर्ट अब अनुच्छेद 184 (3) के तहत मामलों में अपील की सुनवाई करेगा।
जानिए किस मामले में अयोग्य घोषित हुए थे नवाज शरीफ?
डॉन की रिपोर्ट के अनुसार साल 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने पनामा पेपर्स मामले (Panama Papers case) पर एक ऐतिहासिक फैसले में पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को सार्वजनिक पद संभालने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया था।
इस बीच पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल मंसूर उस्मान अवान ने पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश को बताया कि राष्ट्रपति ने निर्णय विधेयक की समीक्षा के लिए सहमति दी थी और अब यह एक कानून बन गया है।
उन्होंने कहा कानून के अनुसार, एक समीक्षा याचिका केवल एक बड़ी पीठ द्वारा सुनी जा सकती है।