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भारत ने रूस से किया 5,124 करोड़ रुपये का एके-203 असॉल्ट राइफल सौदा

अमेठी स्थित कोरवा ऑर्डिनेंस फैक्टरी में होगा छह लाख से अधिक असॉल्ट राइफलों का उत्पादन

नई दिल्ली: भारत ने लंबे इंतजार के बाद सोमवार को रूस के साथ 5,124 करोड़ रुपये के एके-203 असॉल्ट राइफल सौदे पर हस्ताक्षर किए।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और रूस के रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु ने दिल्ली के सुषमा स्वराज भवन में रक्षा सहयोग पर द्विपक्षीय चर्चा के बाद रूसी असॉल्ट राइफल एके-203 डील को अंतिम रूप दिया।

रूस के सहयोग से उत्तर प्रदेश के अमेठी स्थित कोरवा ऑर्डिनेंस फैक्टरी में छह लाख से अधिक असॉल्ट राइफलों का उत्पादन किया जाएगा। केंद्र सरकार ने दो दिन पहले 4 दिसंबर को भारत में एके-203 राइफलों का निर्माण करने को मंजूरी दी थी।

भारत के रक्षा मंत्री और रूसी रक्षा मंत्री जनरल सर्गेई शोइगु ने 2021-2031 तक सैन्य-तकनीकी सहयोग के लिए कार्यक्रम इंडो-रूस राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से 6,01,427 असॉल्ट राइफल एके-203 की खरीद के अनुबंध सहित समझौतों पर हस्ताक्षर किए।

18 फरवरी, 2019 को कलाश्निकोव शृंखला के छोटे हथियारों के निर्माण के क्षेत्र में सहयोग पर समझौते में संशोधन पर प्रोटोकॉल भी समझौते का एक हिस्सा था।

यह सौदा उस समय हुआ है जब भारत रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में ‘मेक इन इंडिया’ पर आक्रामक रूप से जोर दे रहा है।

राइफल सौदे पर हस्ताक्षर के बाद राजनाथ सिंह ने कहा कि दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग हमारी साझेदारी के सबसे महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक है।

सैन्य और सैन्य तकनीकी सहयोग पर भारत रूस अंतर-सरकारी आयोग पिछले दो दशक से मजबूत स्थापित तंत्र है। उन्होंने कहा कि हम भारत के लिए रूस के मजबूत समर्थन की सराहना करते हैं।

हमारा करीबी सहयोग किसी दूसरे देश के खिलाफ लक्षित नहीं है। हमें उम्मीद है कि हमारा सहयोग पूरे क्षेत्र में शांति और समृद्धि लाएगा और क्षेत्र को स्थिरता प्रदान करेगा।

रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के कहा कि मुझे विश्वास है कि नया तंत्र क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विषयों की एक विस्तृत शृंखला के बारे में बात करने के लिए एक कुशल संवाद मंच में बदलने जा रहा है।

यह हमारी पारंपरिक आपसी समझ को और गहरा करेगा। रूस और भारत दोनों के पास अधिक बहु-केंद्रित अधिक बहुध्रुवीय, अधिक न्यायसंगत विश्व व्यवस्था के समान विश्व दृष्टिकोण है, हम सबसे महत्वपूर्ण राजनीतिक और सैन्य मुद्दों पर समान या समान पदों की वकालत करते हैं।

दोनों देशों के बीच राइफल सौदे पर हस्ताक्षर होने से एक दशक बाद भारतीय सेना की स्वदेशी आधुनिक असॉल्ट राइफल की तलाश 7.62 X 39एमएम कैलिबर की एके-203 के रूप में पूरी होने वाली है जो इंसास राइफल की जगह लेगी।

यह असॉल्ट राइफल्स 300 मीटर की प्रभावी रेंज में मजबूत तकनीक के साथ उपयोग करने में आसान है। इसकी डिजाइन इस तरह से की गई है कि इसके इस्तेमाल से सैनिकों की युद्ध क्षमता और बढ़ जाएगी।

यह राइफल्स काउंटर इंसर्जेंसी और काउंटर टेररिज्म ऑपरेशंस में भारतीय सेना की परिचालन प्रभावशीलता को बढ़ाएंगी।

भारतीय सेना को लगभग 7 लाख 70 हजार इन राइफलों की जरूरत है। इनमें से एक लाख राइफल्स का रूस से आयात किया जाएगा और बाकी छह लाख से अधिक का निर्माण ‘मेक इन इंडिया’ के तहत कोरवा ऑर्डिनेंस फैक्टरी में किया जाएगा।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 3 मार्च, 2019 को इस योजना का औपचारिक उद्घाटन कर चुके हैं। इस परियोजना को इंडो-रूसी राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड (आईआरआरपीएल) के नाम से जाना जाएगा।

इसे भारत के एडवांस वेपन्स एंड इक्विपमेंट इंडिया लिमिटेड, मियूनीशेंन्स इंडिया लिमिटेड और रूस की रोसोबोरोन एक्सपोर्ट और कॉनकॉर्न कालाशनिकोव के साथ मिलकर बनाया गया है।

7.62 X 39 एमएम कैलिबर की पहली 70 हजार एके-203 राइफल्स में रूसी कलपुर्जे लगे होंगे लेकिन इसके बाद पूरी तरह से यह राइफल स्वदेशी हो जाएगी।

एके-203 राइफलों की खासियत

स्वदेश निर्मित इन राइफलों की लंबाई करीब 3.25 फुट है और गोलियों से भरी राइफल का वजन लगभग चार किलोग्राम होगा।

यह नाइट ऑपरेशन में भी काफी कारगर होगी क्योंकि यह एक सेकंड में 10 राउंड फायर यानी एक मिनट में 600 गोलियां दुश्मन के सीने में उतार सकती है।

जरूरत पड़ने पर इससे 700 राउंड भी फायर किए जा सकते हैं। दुनिया को सबसे खतरनाक गन देने वाली शख्सियत का नाम मिखाइल कलाशनिकोव है। इन्हीं के नाम पर एके-47 का नाम पड़ा। एके का फुलफॉर्म होता है ऑटोमैटिक कलाशनिकोव।

एके-203 असॉल्ट रायफल 300 मीटर की रेंज में आने वाले दुश्मन को यह छलनी कर देती है। एके-203 असॉल्ट रायफल की गोली की गति 715 किलोमीटर प्रति घंटा होती है।

नई असॉल्ट राइफल में एके-47 की तरह ऑटोमैटिक और सेमी ऑटोमैटिक दोनों सिस्टम होंगे। एक बार ट्रिगर दबाकर रखने से गोलियां चलती रहेंगी।

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