झारखंड

राज्यसभा में उठा बिहार में कोरोना की जांच के आंकड़ों में गड़बड़ी का मुद्दा

नई दिल्ली: बिहार में कोरोना वायरस की जांच के आंकड़ों में गड़बड़ी का मुद्दा उठाते हुए राज्यसभा में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के एक सदस्य ने शुक्रवार को मांग की कि इसकी जांच की जानी चाहिए और फर्जी प्रविष्टियां करने के दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।

राजद सदस्य मनोज झा ने शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि दो तीन दिनों से बिहार में कोरोना वायरस की जांच रिपोर्ट में आंकड़ों में कथित गड़बड़ी होने की खबरें आ रही हैं।

उन्होंने कहा कि ये खबरें चिंताजनक हैं। इनमें दावा किया गया है कि कोरोना वायरस की जांच रिपोर्ट में फर्जी प्रविष्टियां की गई हैं। इसकी उच्च स्तरीय जांच की जानी चाहिए।

झा ने यह भी कहा इस तरह की गड़बड़ी रोकने के लिए आधार कार्ड और पैन कार्ड जैसे दस्तावेज पेश करना अनिवार्य बनाया जाना चाहिए।

सभापति एम वेंकैया नायडू ने इसे गंभीर मुद्दा बताते हुए सदन में मौजूद स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री हर्षवर्द्धन से इस पर गौर करने का अनुरोध किया।

शून्यकाल में ही बीजद के मुजीबुल्ला खान ने स्वच्छ भारत अभियान से जुड़ा मुद्दा उठाया।

उन्होंने कहा कि यह बेहतरीन अभियान है, लेकिन यह घोटाले से बच नहीं पाया।

उन्होंने दावा किया मेरे क्षेत्र नवरंगपुर के झारीगांव में शौचालय बनाने के लिए राशि ले कर मकान बनाया गया।

शिकायत के आधार पर जांच की गई और इसे सही पाया गया। ऐसा और जगहों पर भी हो सकता है।

क्या ऐसी कोई शिकायतें मिली हैं। इसकी जांच की जानी चाहिए।

कांग्रेस के राजामणि पटेल ने मध्यप्रदेश के रीवा में स्थित देहर कोठार गुफाओं को राष्ट्रीय पुरातात्विक स्थल घोषित करने की मांग की।

उन्होंने कहा कि ये स्तूप करीब 2000 साल पुराने हैं और इन्हें मौर्य वंश के सम्राट अशोक ने बनवाया था।

यहां हर साल बौद्ध मेला लगता है।

पटेल ने कहा 1988 में भारत सरकार ने इसे राष्ट्रीय महत्व का स्थल घोषित किया।

अब सरकार इन्हें राष्ट्रीय पुरातात्विक स्थल घोषित करे और इनका विकास तथा संरक्षण करे।

माकपा के बिकाश रंजन ने मांग की कि दिव्यागों के संस्थानों की संख्या आठ से घटा कर चार नहीं की जानी चाहिए जैसा कि सरकार विचार कर रही है।

इनके अलावा टीआरएस के बी लिंगैया यादव, भाजपा के महाराजा संजाओबा लेशंबा, तेदेपा के कनक मेदला रविंद्र कुमार और एलजेडी के श्रेयंस कुमार ने भी लोक महत्व से जुड़े विभिन्न मुद्दे शून्यकाल के दौरान उठाएं।

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