Waqf (Amendment) Act: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार, 17 अप्रैल 2025 को वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली 73 याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान बड़ा फैसला सुनाया।
कोर्ट ने केंद्र सरकार को 7 दिन में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया और तब तक वक्फ बोर्ड व केंद्रीय वक्फ परिषद में कोई नई नियुक्ति न करने तथा ‘वक्फ बाय यूजर’ संपत्तियों को डिनोटिफाई या परिवर्तित न करने का अंतरिम आदेश जारी किया।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश, वक्फ संपत्तियों की यथास्थिति
प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की त्रिसदस्यीय पीठ ने निम्नलिखित अंतरिम निर्देश जारी किए।
‘वक्फ बाय यूजर’ सहित कोर्ट द्वारा घोषित या 1995 के अधिनियम के तहत पंजीकृत वक्फ संपत्तियों को डिनोटिफाई नहीं किया जाएगा। कलेक्टर इन संपत्तियों की प्रकृति में कोई बदलाव नहीं कर सकेंगे।
नियुक्तियों पर रोक
वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में धारा 9 और 14 के तहत कोई नई नियुक्ति नहीं होगी। कोर्ट ने कहा कि पदेन सदस्यों को छोड़कर अन्य सदस्य मुस्लिम ही होने चाहिए।
जवाब दाखिल करने का समय
केंद्र को 7 दिन में प्रारंभिक जवाब और दस्तावेज दाखिल करने का निर्देश। याचिकाकर्ता 5 दिन में प्रत्युत्तर दाखिल कर सकते हैं। अगली सुनवाई 5 मई 2025 को होगी।
केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार की दलील
केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पूर्ण स्थगन न देने की अपील की, इसे “कठोर कदम” करार दिया। उन्होंने कहा कि सरकार को लाखों शिकायतें मिली हैं, जिसमें पूरे गांवों को वक्फ संपत्ति घोषित करने के मामले शामिल हैं।
मेहता ने आश्वासन दिया कि अगली सुनवाई तक कोई नियुक्ति या डिनोटिफिकेशन नहीं होगा। मेहता ने यह भी तर्क दिया कि वक्फ बोर्ड एक वैधानिक और प्रशासनिक निकाय है, न कि धार्मिक, इसलिए गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति संवैधानिक है।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियां
CJI खन्ना ने केंद्र से सवाल किया, “क्या मुसलमानों को हिंदू धार्मिक ट्रस्टों में शामिल किया जाएगा? अगर नहीं, तो वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम नियुक्ति क्यों?” कोर्ट ने इस तुलना को “अनुचित” माना जब मेहता ने कहा कि फिर वक्फ मामलों में केवल मुस्लिम जज सुनवाई करें। CJI ने कहा, “जज के रूप में हम अपनी धार्मिक पहचान खो देते हैं।”
कोर्ट ने ‘वक्फ बाय यूजर’ अवधारणा को हटाने पर चिंता जताई, क्योंकि यह सदियों पुरानी मस्जिदों और कब्रिस्तानों को प्रभावित कर सकता है, जिनके पास दस्तावेज नहीं हैं। CJI ने कहा, “13वीं-15वीं सदी की मस्जिदों से बिक्री विलेख की मांग असंभव है।”
कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद और त्रिपुरा में अधिनियम के खिलाफ हिंसक प्रदर्शनों पर नाराजगी जताई, इसे “बेहद परेशान करने वाला” बताया।
सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ताओं की दलील
याचिकाकर्ताओं, जिनमें AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद, TMC सांसद महुआ मोइत्रा, और Jamiat Ulama-i-Hind शामिल हैं, ने तर्क दिया कि यह अधिनियम:
संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता), 25 (धार्मिक स्वतंत्रता), और 26 (धार्मिक मामलों के प्रबंधन का अधिकार) का उल्लंघन करता है।
‘वक्फ बाय यूजर’ को हटाने से 8 लाख में से 4 लाख वक्फ संपत्तियां खतरे में पड़ सकती हैं।
गैर-मुस्लिम नियुक्तियां और कलेक्टर को संपत्ति निर्धारण का अधिकार देना मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वायत्तता पर अतिक्रमण है।
यह हिंदू, सिख या अन्य धार्मिक निकायों की तुलना में मुस्लिम समुदाय के साथ भेदभाव करता है।