50% tariff to India or distance from Russia-China: अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने भारत को कड़ा संदेश देते हुए कहा कि अगर भारत ने रूस से तेल खरीदना बंद नहीं किया और ब्रिक्स से दूरी नहीं बनाई, तो उसे अमेरिका के 50% टैरिफ का सामना करना पड़ेगा। लुटनिक ने दावा किया कि भारत एक-दो महीने में माफी मांगते हुए ट्रंप के साथ समझौते के लिए बातचीत की मेज पर लौटेगा।
भारत पर अमेरिका का दबाव
लुटनिक ने भारत के बढ़ते रूसी तेल आयात पर निशाना साधते हुए कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद भारत ने अपने तेल आयात को 2% से बढ़ाकर 40% से अधिक कर लिया। उन्होंने इसे “पूरी तरह गलत और हास्यास्पद” बताते हुए कहा कि सस्ते रूसी तेल का फायदा उठाने की भारत की नीति गलत है।
लुटनिक की तीन शर्तें
1.अमेरिकी डॉलर और अमेरिका का समर्थन करें।
2.भारतीय बाजार को अमेरिकी सामानों के लिए खोलें।
3. रूस से तेल खरीदना और ब्रिक्स में शामिल होना बंद करें।
लुटनिक ने चेतावनी दी कि अगर भारत रूस और चीन के बीच “पुल” बनना चाहता है, तो वह 50% टैरिफ का सामना करने के लिए तैयार रहे। उन्होंने अमेरिका की 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का हवाला देते हुए कहा, “हम दुनिया के सबसे बड़े ग्राहक हैं, और आखिरकार ग्राहक हमेशा सही होता है।”
ट्रंप के तंज पर लुटनिक की प्रतिक्रिया
जब लुटनिक से ट्रंप के ट्रुथ सोशल पोस्ट के बारे में पूछा गया, जिसमें उन्होंने लिखा था, “लगता है हमने भारत और रूस को चीन के हाथों खो दिया है,” तो उन्होंने भारत के रूसी तेल आयात पर सवाल उठाए। लुटनिक ने कहा कि भारत को यह तय करना होगा कि वह किस पक्ष में खड़ा है।
उन्होंने कनाडा-अमेरिका टैरिफ विवाद का उदाहरण देते हुए कहा कि जवाबी कदम छोटी अर्थव्यवस्थाओं को ही नुकसान पहुंचाते हैं।
क्या भारत झुकेगा?
लुटनिक ने भविष्यवाणी की कि भारत जल्द ही बातचीत की मेज पर लौटेगा और ट्रंप से समझौते की कोशिश करेगा। उन्होंने कहा कि भारत का सख्त रुख “ब्रावाडो” (दिखावा) है और भारतीय कारोबारी वर्ग अंततः अमेरिका से समझौता चाहेगा।
हालांकि, भारत की ओर से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साफ किया कि भारत रूस से तेल खरीदना जारी रखेगा, क्योंकि यह आर्थिक और व्यावसायिक जरूरतों पर आधारित है।
अमेरिका की बातचीत की पेशकश
लुटनिक ने कहा कि अमेरिका भारत के साथ बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन भारत को यह समझना होगा कि वह और चीन जैसे देश अमेरिका को सामान बेचते हैं, न कि एक-दूसरे को।
उन्होंने जोर देकर कहा, “हमारी 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था दुनिया का सबसे बड़ा ग्राहक है। आखिर में, सभी को हमारे पास लौटना होगा।”