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बाबूलाल मरांडी ने कहा- कोयले के अवैध खनन पर लगाम लगाने में सरकार विफल, की CBI जांच की मांग

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रांची: भाजपा विधायक दल के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कहा कि झारखंड में धड़ल्ले से कोयले का खनन जारी है। इस पर लगाम लगाने में सरकार विफल है।

झारखंड में कोयले की चोरी नहीं हो रही है, बल्कि डकैती हो रही है। मरांडी धनबाद के निरसा से लौटने के बाद शुक्रवार को पार्टी कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि राज्य में कोयले का अवैध खनन सरकार और प्रशासन की मिली भगत से हो रहा है। इसकी जांच सीबीआई से होनी चाहिए, ताकि सच सबके सामने आ सके।

यहां पर गरीब मजदूरों की जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। यह स्थिति काफी गंभीर है। संगठित गैंग कोयले के अवैध खनन में लगा है, जिसको पुलिस-प्रशासन का संरक्षण है।

उन्होंने कहा कि गोपीनाथपुर, कापासारा और दहीबाड़ी ओसीपी में घटित घटना कोयला चुनने की नहीं बल्कि अवैध उत्खनन का है। इसमें चाल गिर जाने और मलबे में दब जाने के कारण 12 लोगों की मौत हो चुकी है।

कोयला चुनने के दौरान गोपीनाथपुर ओसीपी में पांच लोगों की मौत की बात कह लोगों को गुमराह वाले जिला प्रशासन के अधिकारियों पर ही सबसे पहले मामला दर्ज किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि जिनके कंधे पर सुरक्षा एवं विधि-व्यवस्था संधारण की जिम्मेदारी है वे लोग ही बेतुका और तर्कहीन बात करेंगे तो लोग न्याय मांगने किसके पास जाएंगे।

उन्होंने कहा कि मेरी मांग है कि अवैध उत्खनन में मरने के मामले की जांच सीबीआइ से कराई जाए। अवैध खनन के दौरान मृतक के स्वजनों को राज्य सरकार मुआवजा दे तथा घायलों के इलाज की व्यवस्था करे।

कोयला उद्योग का संचालन केंद्र सरकार करती है। लेकिन उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी राज्य सरकार की होती है। हेमंत सरकार या तो कोयला तस्करों से डरती है या कोयला तस्करों से घिरी हुई है।

तभी इतने व्यापक पैमाने पर राष्ट्रीय संपत्ति की चोरी हो रही है। सरकार को राजस्व की हानि हो रही है। लेकिन सरकार द्वारा कोई ठोस पहल नहीं की जा रही है।

उन्होंने कहा कि सीआईएसएफ की भूमिका कोलियरी में चौकीदार के समान है। केस रजिस्टर्ड करना था। अपराधी को जेल भेजने का काम स्थानीय थाना ही करती है।

यदि थाना की पुलिस सीआईएसएफ को सहयोग नहीं करेगी, उसके द्वारा शिकायत करने के बावजूद मामला दर्ज नहीं करेगी तो ऐसी स्थिति में चोरी कैसे रुकेगी।

उन्होंने कहा कि जैसे बिल्ली दूध की रखवाली नहीं कर सकती। वैसे ही जिला प्रशासन द्वारा गठित एसआइटी टीम का भी हाल है। एसआइटी टीम में ग्रामीण एसपी को रखा गया है, जहां से कोयला चोरी हो रही है उसे रोकने की जिम्मेदारी जिस ग्रामीण एसपी पर है उसे ही जांच दल में रखने से यह स्पष्ट हो जाता है कि गठित एसआइटी टीम कितना सही जांच कर सही रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। इसलिए इसकी जांच सीबीआई से होनी चाहिए।

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