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बिहार विधान परिषद चुनाव के जरिए राजग में वीआईपी ने भाजपा से लिया पंगा

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पटना: बिहार में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) ने विधान परिषद की 24 सीटों पर होने वाले चुनाव के लिए अपने सात प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में उतारकर तथा जदयू कोटे की सीटों पर उसके प्रत्याशियों को समर्थन कर भाजपा को सीधे चुनौती दे दी है।

वीआईपी ने हालांकि तीन सीटों पर भाजपा के प्रत्याशी को भी समर्थन देने की घोषणा की है।वीआईपी के इस कदम को लेकर माना जा रहा है कि वीआईपी अब भाजपा से आरपार की लड़ाई लडने के मूड में है।

बिहार विधान परिषद के लिए होने वाले स्थानीय प्राधिकार निर्वाचन क्षेत्र का द्विवार्षिक निर्वाचन 2022 के लिए वीआईपी ने सात उम्मीदवार तय कर दिए है।

वीआईपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता देव ज्योति ने बताया कि पार्टी ने समस्तीपुर से आदर्श कुमार, बेगूसराय -खगड़िया से जय राम सहनी, सहरसा – मधेपुरा – सुपौल से चंदन कुमार, सारण से बालमुकुंद चौहान को उम्मीदवार बनाया है जबकि रोहतास -कैमूर से गोविंद बिंद, पूर्णिया, अररिया और किशनगंज से श्यामा नंद सिंह तथा दरभंगा से बैद्यनाथ सहनी को उम्मीदवार बनाया है।

देव ज्योति ने बताया कि इसके अलावा, पार्टी ने 17 सीटों पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के प्रत्याशी की समर्थन देने की घोषणा की है।

वीआईपी ने जिन सात सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं, उन सभी पर भाजपा के उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। इसके अलावे वीआईपी ने 17 सीटों पर प्रत्याशियों को समर्थन देने की भी घोषणा की है।

इसमें 11 सीटें वे हैं जहां से जदयू के उम्मीदवार है जबकि भाजपा की तीन सीटों और एक राष्ट्रीय लोजपा के कोटे की सीटों पर समर्थन देने का ऐलान किया है।

वीआईपी ने पूर्वी चंपारण और सीवान पर निर्दलीय प्रत्याशी को समर्थन दिया है।

उल्लेखनीय है कि वीआईपी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी भाजपा के खिलाफ मुखर होकर चुनावी मैदान में उतरी थी। सूत्रों का कहना है कि भाजपा राजग में शामिल बिहार के मंत्री और वीआईपी के प्रमुख मुकेश सहनी के खिलाफ जल्द ही कोई फैसला ले सकती है।

भाजपा के कई विधायकों ने सहनी को मंत्री पद से हटाने की मांग भी कर दी है। हालांकि रविवार को भाजपा के पूर्व सांसद आर के सिन्हा के आवास पर आयोजित होली मिलन समारोह में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल और मुकेश सहनी को एक दूसरे को गुलाल लगाते भी देखा गया है।

उल्लेखनीय है कि विधानसभा की 24 सीटों पर होने वाले चुनाव में राजग में समझौते के तहत 11 सीटें जदयू के हिस्से गई हैं, जबकि 13 सीट भाजपा के हिस्से आई है, जिसमें से भाजपा ने एक सीट सहयोगी पार्टी राष्ट्रीय लोजपा को दे दी।

भाजपा ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री सह बिहार भाजपा प्रवक्ता डॉ. निखिल आनंद ने इस मसले पर कहते हैं, भाजपा अपने गठबंधन सहयोगी दलों और उनके शीर्ष नेताओं का दिल से सम्मान करती हैं।

गठबंधन में सीट शेयरिंग और उम्मीदवार के चयन का विषय घटक दलों के शीर्ष नेता आपस में मिलकर तय करते हैं। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की ओर से जो भी तय होगा और जो भी निर्देश मिलेंगे उसका हम सभी ईमानदारी से शत-प्रतिशत पालन करेंगे।

उन्होंने कहा कि राजनीति कयासों और अनुमानों की बुनियाद पर नहीं होती है। हाल के उत्तर प्रदेश के चुनाव से यह सबक तो मिल ही जाना चाहिए कि जिन सहयोगियों ने हमारा साथ छोड़ा उनका हश्र क्या हुआ।

आनंद साफ लहजे में कहा, भाजपा किसी को छोड़ती नहीं लेकिन कालांतर में उदाहरण जरूर रहे है कि अति महत्वकांक्षा के कारण कुछ लोग अलग हुए है लेकिन उन्होंने अपना नैतिक- वैचारिक वजूद खो दिया।

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