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मार्च महीने में भारत की खुदरा महंगाई दर 17 महीने के उच्च स्तर के साथ 7 प्रतिशत के करीब पहुंची

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नई दिल्ली : खाद्य पदार्थों की उच्च लागत, साथ ही महंगे ईंधन और कपड़ों और जूतों जैसे विनिर्मित सामानों ने मार्च 2022 में भारत की खुदरा महंगाई दर को 17 महीने के उच्च स्तर पर पहुंचा दिया है।

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा मंगलवार को प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पिछले महीने फरवरी 2022 में 6.07 प्रतिशत से बढ़कर 6.95 प्रतिशत हो गया है।

इसी तरह, साल-दर-साल आधार पर, पिछले महीने की खुदरा महंगाई मार्च 2021 में दर्ज कीमतों में 5.52 प्रतिशत की वृद्धि की तुलना में तेज दर से बढ़ी।

यह प्रवृत्ति महत्व रखती है, क्योंकि खुदरा महंगाई दर भारतीय रिजर्व बैंक की लक्ष्य सीमा से काफी ऊपर रही, जिसका सीपीआई लक्ष्य 2 से 6 प्रतिशत है।

एनएसओ के आंकड़ों के अनुसार, उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक में वृद्धि की दर, जो खाद्य उत्पादों की खुदरा कीमतों में बदलाव को मापती है, पिछले महीने फरवरी 2022 में 5.85 प्रतिशत और मार्च 2021 में 4.87 प्रतिशत से बढ़कर 7.68 प्रतिशत हो गई।

भारतीय रिजर्व बैंक की लक्ष्य सीमा से काफी ऊपर

 

सीपीआई महंगाई दर के संदर्भ में, मार्च 2022 में दालों और उत्पादों की कीमतों में 2.57 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इसके अलावा, मांस और मछली की कीमतों में 9.63 प्रतिशत की वृद्धि हुई, अंडे 2.44 प्रतिशत और तेल और वसा की कीमतों में 18.79 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

इसी तरह फूड एंड बेवरेज कैटेगरी की कुल कीमत 7.47 फीसदी बढ़ी।

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इसके अलावा सब्जियों की कीमतों में 11.64 फीसदी की तेजी आई है। वहीं फ्यूल एंड लाइट की महंगाई दर 7.52 प्रतिशत के साथ अधिक रही।

इसके अलावा, कपड़ों और जूतों के उप-समूह ने 9.40 प्रतिशत के साथ कीमतों में तेजी दिखाई।

आईसीआरए की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, मार्च 2022 में सीपीआई मुद्रास्फीति हमारी उम्मीदों से बढ़कर 6.95 प्रतिशत के साथ 17 महीने के उच्च स्तर को छू गई, जिसका मुख्य कारण मांस और मछली जैसे खाद्य और पेय पदार्थों के कुछ घटकों (कंपोनेंट्स) में प्रत्याशित वृद्धि है।

उन्होंने आगे कहा, अधिकांश अन्य घटक मोटे तौर पर हमारे पूवार्नुमानों के अनुरूप रहे हैं, जो यह सुझाव देते हैं कि कमोडिटी मूल्य दबावों का क्रमिक रूप से गुजरना शुरू हो गया है।

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