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पूर्व केंद्रीय मंत्री जयंती नटराजन के खिलाफ CBI ने दायर की क्लोजर रिपोर्ट, झारखंड में…

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Corruption Case Jharkhand : केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने छह साल की जांच के बाद झारखंड में 2012 में एक Steel Plant के लिए वन भूमि के डायवर्जन (Diversion) को लेकर पूर्व केंद्रीय पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में क्लोजर रिपोर्ट (Closure Report) दायर की है।

CBI सूत्रों ने कहा कि Agency ने पिछले सप्ताह एक विशेष अदालत के समक्ष Closure Report दायर की, जिसमें कहा गया कि उसे अभियोजन आगे बढ़ाने के लिए मामले में पर्याप्त सबूत नहीं मिले।

Company के खिलाफ तीन साल की लंबी प्रारंभिक जांच

CBI ने इलेक्ट्रोस्टील कास्टिंग लिमिटेड (ECL) के तत्कालीन प्रबंध निदेशक नटराजन, उमंग केजरीवाल और Company के खिलाफ तीन साल की लंबी प्रारंभिक जांच के बाद 7 सितंबर 2017 को मामला दर्ज किया था, जो 2014 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर दर्ज किया गया था।

Investigation Agency ने पूछताछ के निष्कर्ष

जांच एजेंसी (Investigation Agency ने पूछताछ के निष्कर्षों के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की, जिसमें कथित तौर पर पता चला कि ECL ने 2004 में झारखंड में स्टील प्लांट स्थापित करने के लिए राज्य सरकार के साथ एक समझौता ज्ञापन (MOU) पर हस्ताक्षर किए थे।

CBI ने आरोप लगाया है कि नटराजन ने मौजूदा खनन और पर्यावरण कानूनों और सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के निर्देशों का उल्लंघन करते हुए 2012 में कंपनी को खनन की मंजूरी दी थी।

CBJ ने अपनी प्राथमिकी में कहा था, “तत्कालीन पर्यावरण और वन राज्य मंत्री नटराजन ने ECL (Electrosteel Casting Limited) को गैर-वानिकी उपयोग के लिए 55.79 हेक्टेयर वन भूमि के डायवर्जन की मंजूरी दी थी, हालांकि इसे पहले राज्य मंत्री ने खारिज कर दिया था..

अस्वीकृति के बाद परिस्थितियों में कोई बदलाव नहीं हुआ।

CBI ने कहा कि वन सलाहकार समिति ने इस आधार पर प्रस्ताव को खारिज करने से पहले दो बार विचार किया कि प्रस्तावित खनन क्षेत्र सिंहभूम हाथी रिजर्व के मुख्य क्षेत्र का हिस्सा था और वन्यजीव संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण था।

यह मामला 2012 में वन (संरक्षण अधिनियम) के कथित उल्लंघन में खनन कंपनी Electrosteel को झारखंड के सिंहभूम जिले के सारंडा जंगल में वन भूमि के Diversion के लिए दी गई मंजूरी से संबंधित है।

इस संबंध में डीजी (वन) की सलाह और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन किए बिना मंजूरी दी गई थी।

सूत्रों ने कहा कि विशेष अदालत अब यह तय करेगी कि क्या Closure Report को स्वीकार किया जाए, जिसके परिणामस्वरूप पूर्व केंद्रीय मंत्री को क्लीन चिट दी गई है, या इसे खारिज कर दिया जाए और एजेंसी से आगे की जांच की मांग की जाए।

भाजपा ने 2014 के लोकसभा चुनाव में भ्रष्टाचार और घोटालों के लिए तत्कालीन यूपीए-2 सरकार पर निशाना साधते हुए ‘jayanti tax’ को चुनावी मुद्दा बनाया था।

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