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स्क्रैपिंग पॉलिसी से ऑटो इंडस्ट्री को कम जनता को ज्यादा लाभ : सेक्रेटरी

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नई दिल्ली: केंद्र सरकार के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के सेक्रेटरी गिरिधर अरमाने ने कहा है कि स्क्रैपिग पॉलिसी, ऑटो मोबाइल इंडस्ट्री को नहीं बल्कि वाहन मालिकों के हितों को ध्यान में रखकर लाई जा रही है।

स्क्रैपिंग पॉलिसी से वाहन मालिकों का न केवल आर्थिक नुकसान कम होगा, बल्कि उनके जीवन की सुरक्षा हो सकेगी। सड़क दुर्घटनाओं में भी कमी होगी।

अगले कुछ ही हफ्तों में 15 और 20 साल पुराने वाहनों के लिए स्क्रैपिंग पॉलिसी का नोटिफिकेशन जारी होगा। कॉमर्शियल वाहन जहां 15 साल बाद कबाड़ घोषित हो सकेंगे, वहीं निजी वाहनों के लिए यह मियाद 20 वर्ष है।

हालांकि उन्होंने जोर देकर कहा कि स्क्रैपिंग पॉलिसी मैनडेटरी(अनिवार्य) नहीं बल्कि वालंटरली (स्वैच्छिक) है। इसके लिए लोगों को प्रेरित किया जाएगा।

आखिर नई स्क्रैपिंग पॉलिसी लाने की जरूरत क्यों पड़ी, क्या इससे ऑटो मोबाइल इंडस्ट्री को बड़ा फायदा होगा?

आईएएनएस के इस सवाल के जवाब में 1988 बैच के आंध्र प्रदेश काडर के वरिष्ठ आईएएएस अफसर और सेक्रेटरी गिरिधर अरमाने ने तीन प्रमुख कारण और लाभ गिनाए।

उन्होंने पहले कारण के रूप में वाहन मालिकों की बचत की बात कही। उन्होंने कहा, देखिए, हमने स्क्रैंपिंग पॉलिसी से ऑटो मोबाइल इंडस्ट्री के लाभ के बारे में नहीं सोचा है।

हमारा फोकस वाहन मालिकों को होने वाले लाभ पर है। एक आंकड़े के मुताबिक, पुरानी कार चलाने पर एक व्यक्ति को हर साल 30 से 40 हजार तो एक ट्रक मालिक को सालाना, दो से तीन लाख रुपये का नुकसान होता है।

स्क्रैपिंग पॉलिसी से यह आर्थिक नुकसान कम होगा। देश में फिलहाल 50-60 लाख पुराने वाहन रजिस्टर्ड हैं।

कुछ पहले ही स्क्रैप्ड हो चुके हैं।

स्क्रैपिंग पॉलिसी से अलगे चार साल में सिर्फ 15 से 20 लाख नए वाहनों की ही सेल होगी। इसे मैं ऑटो इंडस्ट्री को बड़े लाभ के तौर पर नहीं देखता।

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के सचिव ने नई स्क्रैंपिंग पॉलिसी लाने के पीछे दूसरे प्रमुख कारण के तौर पर सुरक्षा का हवाला देते कहा कि पुराने वाहनों की तुलना में नए वाहनों से एक्सीडेंट और मौत की दर काफी कम है।

दरअसल, 15 से 20 साल पुराने वाहनों में सीट बेल्ट और एयरबैग आदि नहीं होते।

जिससे ऐसे वाहनों में सफर जानलेवा होता है। नए वाहनों में कहीं ज्यादा सुरक्षा मानकों का पालन होता है। नए वाहनों से होने वाले एक्सीडेंट में हेड इंजरीज की दर भी कम है।

इस प्रकार 15 से 20 साल पुराने वाहनों को स्क्रैप्ड कर नए वाहन लेने के लिए लोगों को प्रेरित करने का मकसद है। पुराने वाहनों पर ग्रीन टैक्स लगाने के लिए हम राज्यों को प्रेरित कर रहे हैं।

पिछले साल मई 2020 में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के सचिव का पदभार संभालने से पहले कैबिनेट सचिवालय में अतिरिक्त सचिव रह चुके गिरिधर अरमाने ने तीसरे कारण के तौर पर देश के बड़े शहरों में पर्यावरण प्रदूषण का हवाला दिया।

उन्होंने कहा कि दिल्ली कानपुर, मुबई जैसे शहरों में प्रदूषण ज्यादा है। पुराने वाहन ज्यादा प्रदूषण फैलाते हैं। पुराने वाहनों के खात्मे से शहरों की आबोहवा में सुधार होगा।

उन्होंने बताया कि देश भर में ऑटोमेटेड फिटनेस सेंटर खुलेंगे। जहां 15 से 20 साल पुराने वाहनों का फिटनेस टेस्ट अनिवार्य होगा। ऐसे सेंटर्स का संचालन प्राइवेट पार्टी करेगी। हालांकि सरकार इन सेंटर्स की निगरानी करेगी।

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ऐसी व्यवस्था करने जा रहा है, जिससे कि अगर आपके पास पैसे नहीं हैं तो भी हाईवे के टोल से आप गुजर सकेंगे और बाद में आपके खाते से पैसा कटेगा।

इस स्कीम के बारे में पूछे जाने पर सेक्रेटरी गिरिधर अरमाने ने कहा, अभी हम इस योजना को लेकर कानून मंत्रालय से विचार-विमर्श कर रहे हैं। अगले छह से सात महीनों में यह योजना धरातल पर उतर सकती है।

अगर पैसे न होने पर आपने टोल नहीं चुकाया तो बाद में आप दे सकते हैं। ऐसा सिस्टम हम बनाने जा रहे हैं।

वर्ष 2016 में मिली केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के बाद कैबिनेट सचिवालय, पेट्रोलियम जैसे मंत्रालय में काम कर चुके गिरिधर अरमाने ने बताया कि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय जल्द ही सड़क दुर्घटना के शिकार लोगों के लिए कैशलेस इलाज स्कीम लांच करेगा।

राज्यों को पुराने वाहनों पर ग्रीन टैक्स लगाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। वेहिकल स्कैंपिंग पॉलिसी से करीब दस हजार करोड़ का निवेश होगा और करीब 35 हजार लोगों को नौकरियां मिलेंगी।

उन्होंने कहा कि बजट में मंत्रालय के लिए धनराशि बढ़ाए जाने से परियोजनाओं को समय से पूरा करने में आसानी होगी। इससे अर्थव्यवस्था को भी धार मिलेगी

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