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अनुच्छेद 370, नोटबंदी, चुनावी बॉन्ड जैसे ऐतिहासिक फैसलों में रही बीआर गवई की अहम भूमिका

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B.R. Gavai played a crucial role  : नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के अगले मुख्य न्यायाधीश (CJI) बनने जा रहे जस्टिस बीआर गवई ने अपने कार्यकाल में कई ऐतिहासिक और चर्चित फैसले दिए हैं।

विभिन्न संविधान पीठों के हिस्से के रूप में उन्होंने अनुच्छेद 370, नोटबंदी, चुनावी बॉन्ड, अनुसूचित जातियों में उप-वर्गीकरण जैसे महत्वपूर्ण मामलों में अहम भूमिका निभाई है। जस्टिस गवई 25 मई 2025 को CJI का पद संभालेंगे और 23 नवंबर 2025 तक इस पद पर रहेंगे।

इन प्रमुख फैसले में बीआर गवई का रहा योगदान

अनुच्छेद 370 (दिसंबर 2023): जस्टिस गवई पांच जजों वाली संविधान पीठ का हिस्सा थे, जिसने सर्वसम्मति से केंद्र सरकार के जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले को बरकरार रखा। इस फैसले ने जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करने की संवैधानिक वैधता को मान्यता दी।

नोटबंदी (2016): जस्टिस गवई उस पांच जजों की संविधान पीठ में शामिल थे, जिसने 4:1 के बहुमत से केंद्र के 500 और 1000 रुपये के नोटों को चलन से हटाने के फैसले को मंजूरी दी थी।

चुनावी बॉन्ड योजना: जस्टिस गवई पांच जजों वाली संविधान पीठ का हिस्सा थे, जिसने राजनीतिक वित्तपोषण के लिए शुरू की गई चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया। यह फैसला पारदर्शिता और लोकतांत्रिक जवाबदेही के लिए महत्वपूर्ण माना गया।

अनुसूचित जातियों में उप-वर्गीकरण: सात जजों की संविधान पीठ, जिसमें जस्टिस गवई शामिल थे, ने 6:1 के बहुमत से फैसला दिया कि राज्यों को अनुसूचित जातियों में उप-वर्गीकरण कर अधिक पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षण देने का संवैधानिक अधिकार है।

मध्यस्थता समझौते: जस्टिस गवई सहित सात जजों की पीठ ने फैसला दिया कि बिना मुहर या अपर्याप्त मुहर वाले समझौतों में मध्यस्थता खंड लागू किया जा सकता है, क्योंकि ऐसे दोष ठीक किए जा सकते हैं और यह अनुबंध को अवैध नहीं बनाता।

बुलडोजर कार्रवाई पर रोक: जस्टिस गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने देशभर के लिए दिशा-निर्देश जारी करते हुए कहा कि बिना कारण बताओ नोटिस के किसी भी संपत्ति को ध्वस्त नहीं किया जा सकता। यह फैसला ‘बुलडोजर न्याय’ के खिलाफ महत्वपूर्ण कदम था।

24 नवंबर 1960 को हुआ बीआर गवई का जन्म

जस्टिस बीआर गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को हुआ। उन्होंने 1985 में वकालत शुरू की और 2000 में बॉम्बे हाई कोर्ट में जज बने। 2019 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया।

वह अनुसूचित जाति समुदाय से आने वाले पहले CJI होंगे। उनके फैसले सामाजिक न्याय, संवैधानिक मूल्यों और प्रशासनिक पारदर्शिता को मजबूत करने वाले माने जाते हैं।

जस्टिस गवई के फैसलों ने भारत की संवैधानिक और सामाजिक व्यवस्था पर गहरा प्रभाव डाला है। अनुच्छेद 370 और नोटबंदी जैसे मामलों में केंद्र के पक्ष में फैसले जहां नीतिगत स्थिरता को दर्शाते हैं,

वहीं चुनावी बॉन्ड और बुलडोजर कार्रवाई पर उनके निर्णय लोकतांत्रिक जवाबदेही और नागरिक अधिकारों की रक्षा करते हैं। अनुसूचित जातियों में उप-वर्गीकरण का फैसला सामाजिक न्याय की दिशा में मील का पत्थर है।

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