Jharkhand News: झारखंड के DGP अनुराग गुप्ता की नियुक्ति को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के बीच टकराव चरम पर पहुंच गया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मुख्य सचिव अलका तिवारी और गृह सचिव वंदना डाडेल को पत्र लिखकर कहा है कि अनुराग गुप्ता की DGP नियुक्ति कानून-सम्मत नहीं है।
केंद्र ने गुप्ता को 30 अप्रैल 2025 को ही सेवानिवृत्त मान लिया है। दूसरी ओर, झारखंड सरकार केंद्र के इस रुख से असहमत है और जल्द ही दूसरा जवाब भेजने की तैयारी में है, जिसमें नियुक्ति नियमावली-2025 को कानूनी और सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के अनुरूप बताएगी।
केंद्र का पत्र और आपत्ति
गृह मंत्रालय ने 22 अप्रैल को पहला पत्र भेजकर अनुराग गुप्ता को 30 अप्रैल को रिटायर करने का निर्देश दिया था। संजीव कुमार, अंडर सेक्रेटरी ने पत्र में कहा कि गुप्ता की नियुक्ति UPSC की सिफारिश और केंद्र की मंजूरी के बिना हुई, जो सुप्रीम कोर्ट के प्रकाश सिंह मामले (2006) और अखिल भारतीय सेवा नियम, 1958 का उल्लंघन है।
केंद्र ने 3 मई 2025 को दूसरा पत्र भेजकर मुख्य सचिव अलका तिवारी की रिपोर्ट को खारिज कर दिया, जिसमें गुप्ता की नियुक्ति को झारखंड कैबिनेट और हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिश पर वैध बताया गया था।
केंद्र का तर्क है कि 60 वर्ष की आयु पर IPS अधिकारी की सेवानिवृत्ति अनिवार्य है और सेवा विस्तार केवल केंद्र दे सकता है।
राज्य सरकार का रुख
झारखंड सरकार ने 30 अप्रैल 2025 को ईमेल के जरिए केंद्र को जवाब भेजा था कि गुप्ता की नियुक्ति महानिदेशक एवं पुलिस महानिरीक्षक (पुलिस बल प्रमुख) चयन एवं नियुक्ति नियमावली-2025 के तहत 2 फरवरी 2025 से दो साल के लिए की गई है।
8 जनवरी 2025 को कैबिनेट ने इस नियमावली को मंजूरी दी थी, जिसके आधार पर रिटायर्ड जज की अध्यक्षता वाली समिति ने गुप्ता को चुना।
गृह विभाग ने दावा किया कि यह प्रक्रिया उत्तर प्रदेश, पंजाब, तेलंगाना जैसे राज्यों की तर्ज पर है और सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का पालन करती है। सरकार अब केंद्र को दोबारा पत्र लिखकर यही तर्क देगी कि नियुक्ति नियम-संगत है।




