Ceasefire on LOC: भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को कम करने की दिशा में बड़ा कदम उठा है। दोनों देशों ने सीजफायर (युद्धविराम) पर सहमति जताई है, जिसकी पुष्टि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने की।
ट्रंप ने 10 मई 2025 को अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर बताया कि पिछले 48 घंटों में उन्होंने और उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस ने भारत और पाकिस्तान के शीर्ष नेताओं से बातचीत की। इस डिप्लोमैटिक प्रयास के बाद दोनों देशों ने लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) पर गोलीबारी रोकने का फैसला लिया, जो तत्काल प्रभाव से लागू हो चुका है।
भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने प्रेस ब्रीफिंग में इसकी पुष्टि करते हुए कहा, “भारत और पाकिस्तान ने सीमावर्ती क्षेत्रों में गोलीबारी बंद करने पर सहमति जता दी है।
यह सीजफायर दोनों देशों के DGMO(डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस) की हॉटलाइन बातचीत और अमेरिकी मध्यस्थता से संभव हुआ।” मिस्री ने यह भी साफ किया कि भारत शांति के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन किसी भी उकसावे का जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार है।
क्या होता है सीजफायर?
सीजफायर का मतलब है “गोलीबारी बंद करना”। यह एक अस्थायी या स्थायी समझौता होता है, जिसमें युद्धरत पक्ष आपसी सहमति से हमले रोकते हैं। इसे युद्धविराम (Ceasefire) भी कहा जाता है।
सीजफायर का मकसद तनाव कम करना, बातचीत की गुंजाइश बनाना या नागरिकों को राहत देना होता है। यह समझौता द्विपक्षीय बातचीत या किसी तीसरे पक्ष (जैसे अमेरिका, संयुक्त राष्ट्र) की मध्यस्थता से होता है।
भारत और पाकिस्तान के बीच LoC पर अक्सर गोलीबारी, घुसपैठ और तनाव की घटनाएं होती रहती हैं। 2003 में दोनों देशों ने पहला औपचारिक सीजफायर समझौता किया था, लेकिन इसका कई बार उल्लंघन हुआ।
हालिया सीजफायर को इसलिए अहम माना जा रहा है, क्योंकि यह भारत-पाकिस्तान के बीच हाल के तनाव (ऑपरेशन सिंदूर, Fatah-1 मिसाइल हमले, और परमाणु धमकी) के बाद हुआ है।
अमेरिका की भूमिका
ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर लिखा, “भारत और पाकिस्तान जैसे दो परमाणु शक्ति संपन्न देशों के बीच तनाव खतरनाक था। हमारी मध्यस्थता से दोनों पक्षों ने शांति का रास्ता चुना। यह वैश्विक स्थिरता के लिए बड़ी जीत है।”
सूत्रों के मुताबिक, सऊदी अरब और तुर्की ने भी इस समझौते में पीछे से भूमिका निभाई। अमेरिका की सक्रिय मध्यस्थता ने दोनों देशों को बातचीत की मेज पर लाने में मदद की।


