Jharkhand High Court: झारखंड हाई कोर्ट की खंडपीठ ने शुक्रवार, 13 जून 2025 को असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए अनुसूचित जनजाति (ST) उम्मीदवार मनोज कुमार कच्छप की नियुक्ति के मामले में JPSC की अपील (LPA) खारिज कर दी। चीफ जस्टिस M.S. रामचंद्र राव की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने एकल पीठ के आदेश को बरकरार रखते हुए JPSC पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया।
सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था। मनोज की ओर से अधिवक्ता सब्यसाची और JPSC की ओर से संजय पिपरवाल ने पैरवी की।
JPSC सुप्रीम कोर्ट में देगा चुनौती
JPSC के अधिवक्ता संजय पिपरवाल ने बताया कि आयोग इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगा। उनका तर्क है कि JPSC की परीक्षाओं में सभी वर्गों के लिए फीस जमा करना अनिवार्य है।
आरक्षित वर्ग को सिर्फ फीस में छूट मिलती है, न कि पूरी छूट। मनोज की फीस तकनीकी कारणों से JPSC के खाते में जमा नहीं हुई थी, जिसके आधार पर उनकी रद्द की गई थी।
क्या है मामला
जुलाई 2018 में JPSC ने नागपुरी भाषा के लिए बैकलॉग वैकेंसी (विज्ञापन संख्या 5/2018) के तहत असिस्टेंट प्रोफेसर के 4 पदों के लिए नोटिफिकेशन जारी किया था। मनोज कुमार कच्छप ने आवेदन किया और दस्तावेज जांच में 85 में से 72.10 अंक हासिल किए। लेकिन इंटरव्यू लिस्ट में उनका नाम शामिल नहीं हुआ।
इसके खिलाफ उन्होंने हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर की। एकल पीठ ने JPSC को मनोज को इंटरव्यू में शामिल करने का निर्देश दिया, साथ ही कहा कि रिजल्ट याचिका के अंतिम फैसले पर निर्भर होगा।
इंटरव्यू में टॉपर, फिर भी विवाद
JPSC ने 23 दिसंबर 2021 को रिजल्ट जारी किया, लेकिन कोर्ट के आदेश के कारण एक पद का रिजल्ट रोक दिया। बाद में कोर्ट के आदेश पर JPSC ने मनोज के इंटरव्यू मार्क्स सीलबंद लिफाफे में पेश किए, जिसमें पता चला कि वे पूरे सिलेक्शन प्रोसेस में टॉपर थे।
एकल पीठ ने तकनीकी खामी को नियुक्ति से वंचित करने का आधार नहीं माना और JPSC को 4 सप्ताह में मनोज की नियुक्ति का आदेश दिया।