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Iran–Israel War : 100 से अधिक भारतीय छात्र स्वदेश लौटे, मेडिकल शिक्षा के लिए ईरान में पढ़ाई क्यों?

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New Delhi/Tehran News: इजरायल और ईरान के बीच 13 जून से शुरू हुए युद्ध के कारण ईरान में पढ़ने वाले भारतीय छात्र संकट में फंस गए हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय ने तत्काल कार्रवाई करते हुए बुधवार, 18 जून को ईरान की उर्मिया मेडिकल यूनिवर्सिटी से 100 से अधिक भारतीय छात्रों को विमान से स्वदेश वापस लाया, जिनमें कश्मीर घाटी के 90 छात्र शामिल थे।

छात्रों ने भारत सरकार से युद्धग्रस्त ईरान से सुरक्षित निकासी की गुहार लगाई थी। विदेश मंत्रालय के अनुसार, 2022 में लगभग 2,050 भारतीय छात्रों ने ईरान में विभिन्न कोर्सेज में दाखिला लिया था।

ईरान में पढ़ाई क्यों?

हर साल 20,000-25,000 भारतीय छात्र उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाते हैं। ईरान भारतीय छात्रों के लिए एक आकर्षक गंतव्य है, खासकर किफायती मेडिकल और इंजीनियरिंग शिक्षा के कारण। भारत के निजी मेडिकल कॉलेजों में MBBS की पढ़ाई का खर्च 80-90 लाख रुपये तक हो सकता है, जबकि ईरान में डॉक्टर ऑफ मेडिसिन (MD) डिग्री, जो भारत में MBBS के समकक्ष है, का कुल खर्च 18-25 लाख रुपये (हॉस्टल और कॉलेज फीस सहित) है। यानी प्रति वर्ष लगभग 5.5 लाख रुपये।

ईरान की मेडिकल यूनिवर्सिटीज, जैसे तेहरान यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज, शाहिद बेहेश्ती यूनिवर्सिटी, और इस्फहान यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) द्वारा मान्यता प्राप्त हैं। ये संस्थान भारतीय छात्रों को FMGE (NEXT) परीक्षा पास करने के बाद भारत में मेडिकल प्रैक्टिस करने की पात्रता प्रदान करते हैं। मेडिकल के अलावा, डेंटिस्ट्री, फार्मेसी, नर्सिंग, और पब्लिक हेल्थ जैसे कोर्स भी लोकप्रिय हैं।

नीट-यूजी और मेडिकल सीटों की कमी

भारत में नीट-यूजी परीक्षा में हर साल करीब 23 लाख छात्र हिस्सा लेते हैं, लेकिन मेडिकल कॉलेजों में केवल 1.1 लाख सीटें उपलब्ध हैं। इनमें से सरकारी कॉलेजों में 55,000 सीटें हैं, जहां फीस औसत परिवारों की पहुंच में है।

निजी कॉलेजों की ऊंची फीस और सीमित सीटों के कारण कई छात्र विदेशी मेडिकल यूनिवर्सिटीज का रुख करते हैं। ईरान में दाखिले के लिए नीट-यूजी पास करना अनिवार्य है, जिससे यह एक विश्वसनीय और किफायती विकल्प बनता है।

इंजीनियरिंग और अन्य कोर्स

मेडिकल के अलावा, ईरान की शरीफ यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी जैसे संस्थान इंजीनियरिंग शिक्षा के लिए प्रसिद्ध हैं। पश्चिमी देशों की तुलना में यहां इंजीनियरिंग की पढ़ाई सस्ती और गुणवत्तापूर्ण है। ईरान की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत ह्यूमैनिटीज और सोशल साइंस के छात्रों को आकर्षित करती है।

फारसी भाषा, साहित्य, समाजशास्त्र, और इतिहास जैसे विषयों में कोर्स उपलब्ध हैं। इस्लामिक स्टडीज में रुचि रखने वाले भारतीय छात्र भी ईरान का रुख करते हैं, हालांकि इसके लिए फारसी भाषा का ज्ञान जरूरी है।

स्कॉलरशिप और सहायता

ईरान सरकार और धार्मिक संस्थान भारतीय छात्रों को स्कॉलरशिप प्रदान करते हैं, जो उनके रहने और खाने के खर्च को कम करते हैं। भारत सरकार भी इंडियन काउंसिल फॉर कल्चरल रिलेशंस (ICCR) और इंडियन टेक्निकल एंड इकोनॉमिक कोऑपरेशन (ITEC) के तहत ईरानी छात्रों को स्कॉलरशिप देती है। यह सांस्कृतिक आदान-प्रदान का हिस्सा है।

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