कोलकाता में लॉ स्टूडेंट के साथ गैंगरेप, तीन आरोपियों पर कार्रवाई शुरू

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Kolkata Rape Case: पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में एक बार फिर महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े हुए हैं। आरजी कर मेडिकल कॉलेज में पिछले साल हुई गैंगरेप की घटना को अभी एक साल भी नहीं बीता कि एक नया मामला सामने आया है। कोलकाता के साउथ लॉ कॉलेज में पढ़ने वाली 24 वर्षीय स्टूडेंट के साथ तीन आरोपियों ने कथित तौर पर गैंगरेप किया।

पुलिस के अनुसार, पीड़िता ने एक आरोपी का शादी का प्रस्ताव ठुकराया था, जिसके बाद उसे कॉलेज कैंपस के सुनसान कमरे में ले जाकर शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया। इस केस में एक आरोपी ने रेप किया, जबकि दो अन्य ने सहायता की। तीनों के खिलाफ गैंगरेप के तहत कार्रवाई की जा रही है।

क्या हुआ था?

पीड़िता ने बताया कि मुख्य आरोपी साउथ कोलकाता लॉ कॉलेज का पूर्व छात्र है। उसने दो मौजूदा छात्रों के साथ मिलकर 25 जून 2025 को इस घटना को अंजाम दिया। शिकायत के मुताबिक, पीड़िता ने आरोपी का शादी का प्रस्ताव ठुकराया था, जिसके बाद उसे जबरन कॉलेज के एक सुनसान कमरे में ले जाया गया।

वहां मुख्य आरोपी ने उसके कपड़े उतारे और रेप किया। पीड़िता ने विरोध किया, लेकिन दो अन्य आरोपियों ने घटना का वीडियो बनाया और उसे धमकी दी कि अगर उसने शिकायत की, तो वीडियो उसके परिवार और दोस्तों को भेज दिया जाएगा।

कानून क्या कहता है?

पुलिस ने इस मामले में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धाराओं 127(2), 70(1), और 3(5) के तहत FIR दर्ज की है:
धारा 127(2): किसी व्यक्ति को उसकी इच्छा के खिलाफ रोकना या बंद करना अपराध है। सजा: 1 साल तक की जेल, ₹5000 तक जुर्माना, या दोनों।

धारा 70(1): सामूहिक बलात्कार (गैंगरेप) में शामिल सभी व्यक्ति, चाहे उन्होंने रेप किया हो या सहायता की हो, समान रूप से दोषी माने जाते हैं।

धारा 3(5): समूह द्वारा अपराध में सहमति और सहयोग करने वाले सभी सदस्य समान रूप से दोषी माने जाते हैं।

सभी आरोपी समान रूप से दोषी

कानून के अनुसार, गैंगरेप के लिए पहले से प्लानिंग जरूरी नहीं है। अगर सभी आरोपियों ने घटना के दौरान सक्रिय भूमिका निभाई, जैसे धमकाना या वीडियो बनाना, तो सभी समान रूप से दोषी हैं। धारा 70 के तहत गैंगरेप की सजा न्यूनतम 20 साल की कठोर कारावास है, जो आजीवन कारावास तक बढ़ सकती है, साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट का क्या है रुख?

सुप्रीम कोर्ट ने कई फैसलों में स्पष्ट किया है कि गैंगरेप के मामले में प्रत्येक आरोपी द्वारा रेप करना जरूरी नहीं है। अगर सभी ने अपराध में सहयोग किया या समान मंशा साझा की, तो सभी समान रूप से दोषी हैं।
अशोक कुमार बनाम हरियाणा राज्य (2003): कोर्ट ने कहा कि अगर समूह में एक व्यक्ति ने रेप किया, लेकिन बाकी ने मंशा साझा की, तो सभी पर गैंगरेप का आरोप लागू होगा।

भूपिंदर शर्मा बनाम हिमाचल प्रदेश (2003): कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अभियोजन पक्ष को यह साबित करने की जरूरत नहीं कि हर आरोपी ने रेप किया। समूह की साझा मंशा ही सभी को दोषी ठहराती है।

प्रदीप कुमार बनाम संघ प्रशासन, चंडीगढ़ (2006): कोर्ट ने संयुक्त दायित्व के सिद्धांत को दोहराया, जिसमें समूह के सभी सदस्य साझा मंशा के आधार पर दोषी माने जाते हैं।