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ट्रंप ने भारत पर बढ़ाया दबाव, यूरोप से रूस जैसे प्रतिबंध लगाने की अपील

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Washington News: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के खिलाफ आर्थिक दबाव बढ़ाते हुए यूरोपीय देशों से अपील की है कि वे भारत पर उसी तरह के प्रतिबंध लगाएं, जैसा अमेरिका ने रूस से तेल खरीदने के लिए भारत पर लगाया है।

सूत्रों ने आजतक को बताया कि व्हाइट हाउस ने यूरोप से भारत से तेल और गैस की खरीद तत्काल रोकने की मांग की है। यह कदम ट्रंप प्रशासन की उस चेतावनी का हिस्सा है, जिसमें कहा गया था कि यदि भारत रूस से तेल खरीदना बंद नहीं करता, तो उस पर और सख्त दंडात्मक शुल्क लगाए जाएंगे।

50% टैरिफ पर भारत की आपत्ति

27 अगस्त से अमेरिका ने भारत पर 50% टैरिफ लागू कर दिया है, जिसे भारत ने “अनुचित और अनावश्यक” करार देते हुए कड़ी आपत्ति जताई है। भारत ने पश्चिमी देशों पर दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप लगाया, क्योंकि चीन, जो रूस का सबसे बड़ा तेल खरीदार है, और यूरोप, जो मॉस्को से ऊर्जा उत्पाद खरीदता रहा है, को समान टैरिफ का सामना नहीं करना पड़ा।

भारत का कहना है कि उसने रूस से तेल खरीदना तब शुरू किया, जब यूक्रेन युद्ध के बाद पारंपरिक आपूर्ति यूरोप की ओर मोड़ दी गई थी।

अमेरिका का आरोप, यूरोप की चुप्पी

अमेरिका का दावा है कि भारत रूस से सस्ता तेल खरीदकर यूक्रेन युद्ध को अप्रत्यक्ष रूप से वित्तपोषित कर रहा है। व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आजतक को बताया कि कुछ यूरोपीय नेता सार्वजनिक रूप से ट्रंप के युद्ध समाप्त करने के प्रयासों का समर्थन करते हैं, लेकिन पर्दे के पीछे वे अलास्का शिखर सम्मेलन में ट्रंप और पुतिन के बीच हुई प्रगति को कमजोर कर रहे हैं।

अधिकारी ने कहा, “यूरोपीय नेता यूक्रेन पर दबाव डाल रहे हैं कि वह रूस से अवास्तविक क्षेत्रीय रियायतों की मांग करे, जो युद्ध को और भड़का रहा है।” हालांकि, किसी भी यूरोपीय नेता ने भारत पर टैरिफ को लेकर कोई बयान नहीं दिया है।

SCO शिखर सम्मेलन में होगी चर्चा

इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अगले दो दिनों में तियानजिन में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के दौरान मुलाकात करेंगे।

इस बैठक में भारत पर अमेरिकी टैरिफ और रूस-यूक्रेन युद्ध के मुद्दे प्रमुखता से उठने की संभावना है। भारत ने स्पष्ट किया है कि वह अपनी ऊर्जा सुरक्षा और राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए हर जरूरी कदम उठाएगा।

भारत ने दिखाई दृढ़ता

भारत ने बार-बार कहा है कि रूस से तेल खरीदना उसकी ऊर्जा जरूरतों और वैश्विक बाजार की स्थिति के आधार पर किया गया है। विदेश मंत्रालय ने कहा, “यह खेदजनक है कि अमेरिका और यूरोप उन देशों को निशाना बना रहे हैं, जो अपने राष्ट्रीय हितों के लिए कदम उठा रहे हैं।”

भारत ने यह भी उजागर किया कि 2024 में यूरोप का रूस के साथ द्विपक्षीय व्यापार 67.5 बिलियन यूरो रहा, जबकि अमेरिका ने भी रूस से यूरेनियम और अन्य उत्पादों का आयात जारी रखा है।

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