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बिहार में इस साल लीची, आम में नहीं दिख रही है बौर, सहमे किसान

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पटना : आम तौर पर कहा जाता है कि फाल्गुन की बयार के बीच लीची और आम में बौर (मंजर) पूरी तरह आ जाता है, लेकिन इस साल बसंत पंचमी के गुजर जाने के बाद भी मुजफ्फरपुर के लीची और आम के पेड़ो में मंजर पूरी तरह नहीं आया है।

वैज्ञानिक इसे अधिक समय तक बारिश और नमी बनी रहना बता रहे हैं।

मुजफ्फरपुर के फल उत्पादकों का कहना है कि आमतौर पर सरस्वती पूजा के बाद आम और लीची में मंजर पूरी तरह दिखाई देने लगता है, लेकिन इस साल ऐसा नहीं दिख रहा है।

मुजफ्फरपुर फल उत्पादक संघ के प्रमुख भोला प्रसाद सिंह कहते हैं कि इस साल लीची के पेड़ों में 50 प्रतिशत ही मंजर दिखाई दे रहा है।

कुछ किसान इसके लिए रसायनिक दवाओं का प्रयोग कर रहे हैं, जिससे उन्हें उम्मीज है कि मंजर लगेंगे।

उत्पादकों का कहना है कि, जिस इलाके में बाढ़ का पानी ज्यादा समय तक रहा है, वहां की स्थिति और खराब है, इन इलाकों में मंजर काफी कम दिखाई दे रहा है।

वैसे मीनापुर के लीची किसान अखिलेश सिंह को अभी भी आशा है कि मंजर अभी और दिखाई देंगे।

पिछले दो-तीन दिनों से धूप में गर्मी बढ़ी है, जिससे तापमान में वृद्घि दर्ज की गई है, इससे उम्म्ीद बढ़ी है।

उल्लेखनीय है कि मुजफ्फरपुर में लीची का एक बड़ा उत्पादक क्षेत्र है। यहां की रसीली और मीठी लीची की मांग देश में ही नहीं विदेशों में होती है।

वैसे, इस साल मंजर की कमी के कारण लीची के उत्पादन में भी प्रभाव पड़ने की आशंका व्यक्त की जा रही है।

इधर, राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ़ एस़ डी़ पांडेय कहते हैं कि पिछले साल बारिश अधिक समय तक हुई है, इस कारण लीची की जड़ों के पास नमी बरकरार रही।

यही हाल बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में भी हुई है, वहां की जमीन में नमी अधिक समय तक बनी रही। उन्होंने कहा कि मंजर पूरी तरह नहीं आने का मुख्य कारण नमी ही है।

उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि अभी एक सप्ताह और समय है, जिसमें मंजर की मात्रा बढ़ सकती है।

इधर, उन व्यापारियों के लिए मंजर कम आने के कारण और परेशानी बढ़ गई है, जो पहले ही बाग को खरीद चुके हैं।

गौरतलब है कि कई किसान और व्यापारी ऐसे भी होते हैं जो मंजर लगने के पहले ही बागों को खरीद लेते हैं।

उल्लेखनीय है कि बिहार में देश की कुल लीची का 70 फीसदी उत्पादन होता है। लीची उत्पादन के लिए मुजफ्फरपुर देश में अव्वल है।

बिहार में कुल 32 हजार हेक्टेयर में लीची की खेती होती है। अकेले मुजफ्फरपुर में 11 हजार हेक्टेयर में लीची के बाग हैं।

मुजफ्फरपुर के अलावा बिहार में वैशाली, सीतामढ़ी, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, कटिहार और समस्तीपुर में भी लीची का उत्पादन होता है।

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