This time it will be very cold!: देश में इस साल ठंड का कहर बरप सकता है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने चेतावनी दी है कि La Nina के असर से पारा सामान्य से ज्यादा गिर सकता है। IMD के मुताबिक, प्रशांत महासागर में अभी न्यूट्रल कंडीशन्स हैं, लेकिन मानसून के बाद La Niña बनने की संभावना बढ़ रही है। एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि मॉडल्स अक्टूबर-दिसंबर के दौरान La Nina डेवलप होने की प्रबल संभावना दिखा रहे हैं, जो भारत में कड़ाके की ठंड का कारण बनता है। हालांकि, क्लाइमेट चेंज कुछ हद तक तापमान की ज्यादा गिरावट को रोक सकता है।
प्राइवेट वेदर फोरकास्टिंग एजेंसी Skymet Weather ने भी ठंड का अलर्ट जारी किया है। Skymet के प्रेसिडेंट जीपी शर्मा ने कहा कि प्रशांत महासागर पहले से ही सामान्य से ठंडा हो चुका है, हालांकि अभी La Nina की लिमिट तक नहीं पहुंचा। उन्होंने बताया कि शॉर्ट-टर्म La Nina की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। ठंडा समुद्री पानी अक्सर हिमालयी इलाकों में भारी बर्फबारी और कड़ाके की ठंड लाता है।
शर्मा ने आगे कहा कि अगर La Nina आता है, तो अमेरिका में ड्राई विंटर का खतरा है, जबकि भारत में उत्तर भारत और हिमालयी क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे। IISER मोहाली और ब्राजील के नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस रिसर्च के 2024 के स्टडी में भी पाया गया कि La Nina उत्तर भारत में शीतलहर (कोल्ड वेव) का कारण बन सकता है।




