Preparations to Shut Down HEC: राजधानी में वामदलों ने प्रेस वार्ता कर केंद्र सरकार पर भारी आरोप लगाए। उनका कहना है कि सरकार जानबूझकर एचईसी (HEC) को बंद करने की तैयारी कर रही है और 5000 एकड़ से ज्यादा जमीन निजी कंपनियों को देने की साजिश चल रही है।
वाम नेताओं ने कहा कि HEC को सुधारने के बजाय उसे धीरे–धीरे खत्म करने की कोशिश की जा रही है।
HEC को बीमार दिखाने की नीति?
नेताओं ने बताया कि 1200 करोड़ रुपये के अहम ऑर्डर कई सालों से रोके गए हैं। वर्किंग कैपिटल बंद कर दिया गया और SBI की बैंक गारंटी भी बिना किसी कारण वापस ले ली गई।
इसके कारण HEC का उत्पादन बंद हो गया है और वर्कशॉप तथा Township खाली करने की प्रक्रिया जारी है। यहां काम करने वाले मजदूर और अधिकारी 28 महीने से बिना वेतन काम कर रहे हैं, लेकिन सरकार इस पर चुप है।
निजी कॉरपोरेट को फायदा पहुंचाने का आरोप
वामदलों ने कहा कि असली मकसद HEC को बंद करके उसकी जमीन और संपत्ति निजी कंपनियों को देना है।
उन्होंने बताया कि नीति आयोग की समिति, जिसकी अध्यक्षता डॉ. वी.के. सारस्वत ने की थी, ने साफ कहा था कि 1200 करोड़ के आधुनिकीकरण से HEC को 2-3 साल में मुनाफे में लाया जा सकता है. लेकिन सरकार ने इस रिपोर्ट को नजरअंदाज कर दिया।
राष्ट्रीय सुरक्षा पर असर की चेतावनी
नेताओं का कहना है कि अगर HEC बंद हुआ तो देश की सुरक्षा और स्वदेशी उत्पादन पर असर पड़ेगा, क्योंकि यह संस्था ISRO और DRDO जैसे संगठनों के लिए जरूरी उपकरण बनाती है। प्रेस वार्ता में सीपीआई के अजय सिंह, CPM के समीर दास और माले के शिवेंदु सेन शामिल हुए।
वामदलों की मुख्य मांगें
1200 करोड़ के रोके गए ऑर्डर जारी किए जाएं
SBI की बैंक गारंटी वापस मिले
आधुनिकीकरण योजना लागू हो
मजदूर–कर्मचारियों को 26 माह का बकाया वेतन मिले
HEC की जमीन और संपत्तियों का निजीकरण रोका जाए




