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रांची में सेवा सदन सहित अन्य भवनों को तोड़ने के आदेश पर हाई कोर्ट ने लगाई रोक

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रांची: झारखंड हाई कोर्ट ने सेवा सदन सहित अपर बाजार के अन्य भवनों को तोड़े जाने से सम्बंधित नोटिस पर रोक लगाने का आदेश दिया है। यह रोक तब तक लगायी गयी है जब तक उचित फोरम में अपील की व्यवस्था नहीं हो जाती।

इस दौरान अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह एक सप्ताह में अपीलीय प्राधिकार में रिक्त पदों पर नियुक्ति करें ताकि नगर निगम से पास आदेश के खिलाफ प्रार्थी अपील दाखिल कर सके ऐसा नहीं करने से हाईकोर्ट पर ही बोझ बढ़ रहा है।

साथ ही कोर्ट ने रांची एसएसपी को अपर बाजार में सुगम यातायात व्यवस्था सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने अपर बाजार में पार्किंग जोन बनाने और नो पार्किंग जोन बनाने का निर्देश दिया है।

हाई कोर्ट में अतिक्रमण हटाये जाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर गुरुवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि हम सिर्फ झारखण्ड की भलाई के लिए सोच रहे हैं।

नगर निगम कानून सम्मत कार्रवाई करें लेकिन अगर किसी का घर तोड़ने की परिस्थिति आ रही है तो सभी तथ्यों की गहनता से जांच कर लें। कोर्ट ने कहा कि नैसर्गिक न्याय का ख्याल रखना बेहद जरूरी है।

चैंबर की ओर से पक्ष रख रहे वरीय अधिवक्ता अनिल सिन्हा ने कोर्ट को बताया कि रांची नगर निगम की कार्रवाई नियमों के खिलाफ की जा रही है। निगम हाई कोर्ट के आदेश का हवाला देकर भवनों और घरों को तोड़ने का नोटिस दे रहा है।

हाई कोर्ट ने इसपर नाराजगी जाहिर करते हुए नगर निगम का पक्ष रख रहे अधिवक्ता एल सी ए शाहदेव से पूछा कि क्या हमने भवन तोड़ने का आदेश दिया है।

हमारे आदेश का हवाला देकर नोटिस क्यों भेजा जा रहा है। नगर निगम को हाई कोर्ट के आदेश की बैसाखी की जरूरत क्यों पड़ रही है।

जिसपर नगर विकास विभाग के सचिव ने अदालत को आश्वस्त कराया कि भविष्य में ऐसा नहीं होगा।

इसके साथ ही अदालत ने रांची एसएसपी से पूछा कि अपर बाजार का ट्रैफिक कंट्रोल क्यों नहीं हो रहा है।

जिस पर एसएसपी ने बताया कि ट्रैफिक कंट्रोल के लिए कार्य किया जा रहा है। अदालत ने कहा कि रोड पार्किंग के लिए नहीं है। गाड़ियों के आवागमन के लिए है।

इस जनहित याचिका पर सुनवाई हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हुई।

राज्य सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता सचिन कुमार, नगर निगम की ओर से अधिवक्ता एल सी एन शाहदेव ने पक्ष रखा। नगर विकास सचिव विनय चौबे भी सुनवाई के दौरान वर्चुअल माध्यम से उपस्थित रहे।

चैंबर की ओर से वरीय अधिवक्ता अनिल सिन्हा और सुमित गड़ोदिया ने अदालत में अपना पक्ष रखा और भवन तोड़े जाने के नोटिस का पुरजोर विरोध किया।

नगर निगम द्वारा की जा रही कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग अदालत से की गई है।

साथ ही कोर्ट ने चैंबर से यह जानकारी मांगी है कि चैंबर के कितने सदस्य हैं और उनके पास कितनी गाड़िया हैं।और कहां पार्क करते हैं।

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