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डेल्टा वेरिएंट के खतरे के बीच वैक्सीन की बूस्टर डोज देने की फिलहाल नहीं है कोई जरुरत: WHO

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नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि ताजा आंकड़ों के अनुसार फिलहाल दुनिया में कहीं भी कोविड-19 वैक्सीन की बूस्टर डोज देने की जरुरत नहीं है।

डब्ल्यूएचओ ने कहा कि सबसे पहले हमें दुनिया के गरीब देशों की आबादी को पूरी तरह वैक्सिनेट करने के बारे में सोचना चाहिए।

इसके बाद ही अमीर देशों को वैक्सीन की बूस्टर डोज देने के बारे में फैसला लेना चाहिए।

डब्ल्यूएचओ की चीफ साइंटिस्ट सौम्या स्वामीनाथन ने कहा, “कोविड-19 के ताजा आंकड़ों पर गौर करने के बाद हम इस बात को यकीन से कह सकते हैं कि फिलहाल बूस्टर डोज की कहीं भी जरुरत नहीं है। इसके लिए अभी और रीसर्च की जरुरत है।

डब्ल्यूएचओ का ये बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका ने 20 सितंबर से अपने सभी नागरिकों के लिए कोविड वैक्सीन की बूस्टर डोज उपलब्ध करने की बात कही है।

अमेरिकी सरकार ने डेल्टा वेरिएंट के बढ़ते मामलों के चलते ये फैसला किया है।

डब्ल्यूएचओ के वरिष्ठ सलाहकार ब्रूस एलवर्ड ने अमीर देशों में कोविड-19 वैक्सीन की बूस्टर डोज दिए जाने की बात पर कहा, “दुनिया में इस वक्त पर्याप्त संख्या में वैक्सीन उपलब्ध है।

परेशानी की बात ये है कि ये सही संख्या में सही जगह नहीं पहुंच रही है। साथ ही उन्होंने कहा, “गरीब देशों के सभी नागरिकों जब तक वैक्सीन की दोनों डोज नहीं दे दी जाती तब तक दुनिया के अमीर देशों को अपने नागरिकों को बूस्टर डोज देने के बारे में सोचना भी नहीं चाहिए।

हालांकि गरीब देशों की पूरी आबादी को वैक्सीन की दोनों डोज उपलब्ध कराने के लक्ष्य से हम अब भी बहुत दूर हैं।

डब्ल्यूएचओ के अनुसार दुनिया के ज्यादा आय वाले देशों में मई के महीने में हर 100 लोगों पर वैक्सीन की 50 डोज का औसत था और उसके बाद से अब तक ये संख्या दोगुनी हो गई है।

वहीं अगर कम आय वाले देशों की बात करें तो यहां सप्लाई में कमी के चलते प्रत्येक 100 लोगों पर वैक्सीन की मात्र 1.5 डोज का औसत है।

बता दें कि, डब्ल्यूएचओ के अधिकारी भी ये बात कह चुके हैं कि, वैक्सीन की दो डोज ले चुके लोगों को बूस्टर डोज देने से संक्रमण के प्रसार में कमी आएगी ये बात अभी तक साबित नहीं हुई है।

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