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सेना की ‘जासूसी’ का मामला अब ड्रग रैकेट से जुड़ा

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नई दिल्ली : पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई को उत्तरी कमान से सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारियां लीक करने के मामले की जांच में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं।

इस मामले की जांच सेना के एक जवान को केंद्र में रखकर शुरू की गई थी लेकिन पूछताछ के दौरान दो अन्य सैनिकों के भी नाम सामने आये हैं।

डेटा लीक होने का यह मामला ड्रग रैकेट से भी जुड़ रहा है क्योंकि जांच में पता चला है कि इन जवानों को ड्रग रूट के माध्यम से पाकिस्तानी खुफिया अधिकारियों ने फंसाया था।

पाकिस्तान और चीन से लगती सीमा की देखरेख का जिम्मा संभालने वाली भारतीय सेना की उत्तरी कमान से सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारियां लीक होने का मामला फरवरी माह की शुरुआत में सामने आया था।

सूत्रों के मुताबिक लीक किए गए डेटा में गुप्त सैन्य नक्शे, एलएसी और एलओसी पर अग्रिम चौकियों पर तैनात सैनिकों और उनकी परिसंपत्तियों की जानकारी शामिल हैं।

हालांकि सेना ने इस मामले में अधिकृत रूप से टिप्पणी करने से इनकार किया है लेकिन सूत्रों ने कहा कि सेना की उधमपुर रेजिमेंट के एक जवान को उत्तरी कमान के मुख्यालय की एक संवेदनशील शाखा में तैनात किया गया था।

भारत-पाकिस्तान द्वारा 25 फरवरी को संघर्ष विराम की घोषणा करने के बाद इस जवान को हिरासत में लेकर सेना के नगरोटा स्थित 16 कोर मुख्यालय में पूछताछ शुरू की गई।

यह डेटा लीक का मामला सेना की आंतरिक जांच में नहीं बल्कि भारत की रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) की जवाबी खुफिया शाखा की पकड़ में आया है।

सेना की अपनी आंतरिक काउंटर-इंटेलिजेंस मशीनरी ने पहले भी कई जासूसी के मामले पकड़े हैं लेकिन इसे सबसे बड़ी शीर्ष स्तरीय चूक के रूप में देखा जा रहा है।

पूछताछ के दौरान सेना की उत्तरी कमान मुख्यालय के 2 अन्य सैनिकों के नामों का खुलासा हुआ तो उन्हें भी हिरासत में लिया गया।

खुफिया एजेंसियों की जांच में पता चला है कि सेना के इन जवानों को पाकिस्तानी खुफिया अधिकारियों ने ड्रग रूट के माध्यम से अपने जाल में फंसाया था।

केन्द्रीय खुफिया एजेंसी ने भी पाक लिंक के साथ ड्रग व्यापार की जांच के दौरान इस मामले पर सहमति जताई है।

सूत्रों का कहना है कि सेना में कई वर्षों से यूएसबी ड्राइव पर प्रतिबन्ध लगा है और डेटा हैंडलिंग के सभी उपकरणों, डिजिटल प्रोटोकॉल और मानक संचालन प्रक्रियाओं को पहले ही हटाया जा चुका है।

इसलिए तकनीकी एंगल की जांच में यह भी पता लगाने की कोशिश की गई कि आखिर डेटा स्थानांतरित करने के लिए किस पद्धति का उपयोग किया गया था।

जांच के दौरान वह पेन ड्राइव भी बरामद कर ली गई है जिसमें उत्तरी कमान से सम्बंधित संवेदनशील परिचालन संबंधी जानकारी थी। यह पेन ड्राइव पकड़े गए सैनिकों में से एक ने बनाई थी।

इस मामले की जांच इसलिए भी गंभीरता से की जा रही है क्योंकि आखिर एक जगह पर इतना संवेदनशील डेटा क्यों रखा गया और सेना के सुरक्षा प्रोटोकॉल इस तरह की संवेदनशील जानकारी लीक होने से क्यों नहीं रोक सके।

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