Bihar Assembly Election: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और कांग्रेस के नेतृत्व वाले महागठबंधन को गठबंधन का खुला प्रस्ताव दिया है।
ओवैसी ने कहा कि उनकी पार्टी बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की सत्ता में वापसी रोकने के लिए महागठबंधन के साथ मिलकर चलने को तैयार है। हालांकि, RJD नेता तेजस्वी यादव ने एक साक्षात्कार में स्पष्ट किया कि इस मामले पर अभी कोई चर्चा नहीं हुई है।
AIMIM ने संकेत दिया है कि यदि महागठबंधन गठजोड़ के लिए तैयार नहीं होता, तो वह मुस्लिम-बहुल सीमांचल क्षेत्र के साथ-साथ पूरे बिहार में 50 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
AIMIM का महागठबंधन से संपर्क
AIMIM के बिहार प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने महागठबंधन के कुछ नेताओं से बातचीत की है। ओवैसी ने कहा, “हमने स्पष्ट कर दिया है कि हम नहीं चाहते कि बीजेपी या NDA बिहार में सत्ता में लौटे। अब यह महागठबंधन के दलों पर निर्भर है कि वे NDA को रोकने के लिए हमारे साथ आएं।”
उन्होंने बताया कि पांच साल पहले भी उन्होंने व्यक्तिगत रूप से गठबंधन की कोशिश की थी, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। AIMIM के राष्ट्रीय प्रवक्ता आदिल हसन ने कहा, “हमारा उद्देश्य बीजेपी को हराना और बिहार को सशक्त करना है। हम सीमांचल के लिए विशेष आर्थिक पैकेज और विकास की मांग करते हैं।”
पार्टी ने बहादुरगंज और ढाका सीटों पर अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है और 3-4 मई को ओवैसी इन क्षेत्रों में रैलियां करेंगे।
2020 में AIMIM का प्रदर्शन
2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में AIMIM ने ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेकुलर फ्रंट (GDSF) के हिस्से के रूप में 20 सीटों पर चुनाव लड़ा और सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटें-अमौर, बैसी, कोचधामन, बहादुरगंज, और जोकीहाट-जीतीं। इन सीटों पर पार्टी को 14.28% वोट मिले। हालांकि, 2022 में इनमें से चार विधायक-मुहम्मद इजहार आसफी (कोचधामन), शाहनवाज आलम (जोकीहाट), सैयद रुक्नुद्दीन (बैसी), और अजहर नईमी (बहादुरगंज)-RJD में शामिल हो गए, जिससे AIMIM के पास केवल एक विधायक, अख्तरुल ईमान (अमौर), बचे। ओवैसी ने इन दलबदलुओं पर निशाना साधते हुए कहा, “चार भागे तो 24 आएंगे। सीमांचल की जनता उन्हें सबक सिखाएगी।”
महागठबंधन की अनिच्छा और आरोप
RJD और कांग्रेस ने AIMIM को “BJP की B-टीम” और “वोटकटवा” करार दिया है, यह आरोप लगाते हुए कि AIMIM मुस्लिम वोटों को बांटकर NDA को फायदा पहुंचाती है।
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने 2020 में कहा था कि AIMIM की रणनीति ने महागठबंधन को नुकसान पहुंचाया। हालांकि, ओवैसी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा, “हमने पांच सीटें निष्पक्ष तरीके से जीतीं। जिन सीटों पर हम हारे, वहां NDA की जीत का अंतर हमारे वोटों से अधिक था।”
डेटा विश्लेषण से पता चलता है कि 2020 में केवल एक सीट (रानीगंज) पर AIMIM के वोट NDA की जीत के अंतर से अधिक थे, और वह भी मात्र 108 वोटों से। तेजस्वी यादव ने AIMIM के साथ गठजोड़ की संभावना को खारिज करते हुए कहा कि वह अपने वोट बैंक में सेंधमारी का जोखिम नहीं लेंगे।
सीमांचल में AIMIM की ताकत
सीमांचल क्षेत्र (किशनगंज, अररिया, पूर्णिया, और कटिहार जिले) में करीब 45 मुस्लिम-बहुल विधानसभा सीटें हैं, जहां की आबादी का 40-60% हिस्सा मुस्लिम है। परंपरागत रूप से यह RJD और कांग्रेस का गढ़ रहा है, लेकिन AIMIM ने 2020 में अपनी उपस्थिति मजबूत की।
पार्टी ने बाढ़ राहत और प्रवासी मजदूरों की मदद जैसे कार्यों के जरिए स्थानीय समर्थन हासिल किया। ओवैसी ने सीमांचल के पिछड़ेपन पर जोर देते हुए इसके लिए विशेष विकास आयोग की मांग की है। यदि महागठबंधन के साथ गठजोड़ नहीं होता, तो AIMIM 50 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बना रही है, जिसमें सीमांचल के बाहर की सीटें भी शामिल हैं।