Homeबिहारबिहार की बेटियों को मेडिकल कॉलेजों में 33 प्रतिशत आरक्षण

बिहार की बेटियों को मेडिकल कॉलेजों में 33 प्रतिशत आरक्षण

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पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार के इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों में लड़कियों के लिए न्यूनतम एक तिहाई (33 प्रतिशत) आरक्षण की घोषणा।

इस बाबत उन्होंने आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश पदाधिकारियों को दिया है।

बिहार में 38 सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज हैं। इसमें कुल 9275 सीटें हैं। वहीं 10 सरकारी मेडिकल कॉलेजों में 1125 सीटें हैं।

नीतीश कुमार ने कहा “इससे छात्राएं उच्च और तकनीकी शिक्षा के लिए ज्यादा प्रेरित होंगी। राज्य के सभी जिलों में इंजीनियरिंग कॉलेज खोले जा रहे हैं।

कई मेडिकल कॉलेज भी खोले गये हैं। हम लोगों का उद्देश्य है कि इंजीनियरिंग एवं मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए बिहार के बच्चे एवं बच्चियों को बाहर नहीं जाना पड़े।”

मुख्यमंत्री के समक्ष वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से इंजीनियरिंग विश्वविद्यालय तथा चिकित्सा विश्वविद्यालय स्थापित करने के संबंध में प्रस्तावित विधेयक का प्रस्तुतीकरण दिया गया।

इस मौके पर मुख्यमंत्री ने उक्त घोषणा की। अगले विधानमंडल के सत्र में यह विधेयक पेश होगा। विधानमंडल से पारित कर राज्यपाल की सहमति लेकर राज्य में ये दोनों नये विश्वविद्यालय एक्ट को लागू कर दिया जाएगा।

प्रस्तुतीकरण के अवलोकन के क्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि अभियंत्रण विश्वविद्यालय एवं चिकित्सा विश्वश्विद्यालय स्थापित होने से इंजीनियरिंग कॉलेजों एवं मेडिकल कॉलेजों का बेहतर ढंग से प्रबंधन हो सकेगा।

साथ ही कॉलेजों में अध्यापन कार्य को बेहतर ढंग से नियंत्रित भी किया जा सकेगा।

अभियंत्रण विश्वविद्यालय के अधीन राज्य के सभी इंजीनियरिंग तथा चिकित्सा विश्वविद्यालय के अधीन सभी मेडिकल कॉलेज आएंगे।

विज्ञान एवं प्रावैधिकी विभाग के सचिव लोकेश कुमार सिंह ने ‘द बिहार इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी बिल से संबंधित विस्तृत जानकारी प्रस्तुतीकरण के माध्यम से दी।

वहीं स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने प्रस्तुतीकरण के माध्यम से ‘बिहार यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइसेंज’ के अधिकार, कार्य और इसके अधिकार क्षेत्र से संबंधित जानकारी दी।

मालूम हो कि मुख्यमंत्री सात निश्चय 2 में अभियंत्रण और चिकित्सा विश्वविद्यालय की राज्य में स्थापना करने का जिक्र है। इसकी तैयारी काफी पहले ही शुरू कर दी गई थी।

दोनों संबंधित विभागों के पदाधिकारियों को इन विश्वविद्यालय के विधेयक बनाने की जिम्मेदारी दी गई थी।

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