CJI ने वकीलों को हड़ताल या अदालतों का बहिष्कार न करने की दी सलाह, बार और बेंच को लेकर…

Justice अभय एस. ओका और Justice राजेश जिंदल की पीठ ने बार के सदस्यों से सहयोग का आह्वान करते हुए कहा था कि यदि अधिवक्ता अपना सहयोग नहीं देंगे तो अधीनस्थ अदालतों (subordinate courts)  के लिए भारी बकाया मामलों से निपटना बहुत मुश्किल हो जाएगा।

Team News Aroma

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के CJI डी.वाई. चंद्रचूड़ ने रविवार को इस बात पर जोर दिया कि बार और बेंच के बीच मुद्दों को चर्चा और सहयोग के माध्यम से सौहार्दपूर्ण ढंग से हल किया जा सकता है, जबकि वकीलों को हड़ताल या अदालतों का बहिष्कार (Disfellowship) जैसे तरीकों का सहारा न लेने की चेतावनी दी।

75वें मराठवाड़ा मुक्ति दिवस

75वें मराठवाड़ा मुक्ति दिवस, जिसे मराठवाड़ा मुक्ति संग्राम दिवस (Marathwada Liberation War Day) के नाम से भी जाना जाता है, को मनाने के लिए छत्रपति संभाजी नगर में 600 से अधिक अधिवक्ताओं की एक सभा को संबोधित करते हुए CJI ने कहा कि कानूनी प्रणाली को मजबूत करने और इसे भविष्य के लिए लचीला बनाने के लिए न्यायाधीशों और वकीलों के बीच अधिक सहयोग एक शर्त है।

CJI ने इस बात पर जोर दिया…

CJI ने इस बात पर जोर दिया कि कानूनी पेशेवरों के रूप में महिलाओं को कानूनी प्रणाली में महत्वपूर्ण जगह दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि महिला वकीलों को पर्याप्त संस्थागत समर्थन और प्रोत्साहन प्रदान करना कानूनी पेशे के प्रत्येक सदस्य का संवैधानिक कर्तव्य है। साथ ही, उन्होंने सभी बार को युवा वकीलों को उचित मार्गदर्शन और समर्थन देने के लिए प्रोत्साहित किया।

CJI ने मराठवाड़ा, महाराष्ट्र और राष्ट्र के लिए ऐतिहासिक महत्व का दिन मनाने की वार्षिक परंपरा के अनुसार बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay high court) की औरंगाबाद बेंच में राष्ट्रीय ध्वज (National flag) फहराया।

हाल ही में, Justice अभय एस. ओका और Justice राजेश जिंदल की पीठ ने बार के सदस्यों से सहयोग का आह्वान करते हुए कहा था कि यदि अधिवक्ता अपना सहयोग नहीं देंगे तो अधीनस्थ अदालतों (subordinate courts)  के लिए भारी बकाया मामलों से निपटना बहुत मुश्किल हो जाएगा।

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