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कोरोना ने फिर पसारे पैर, 8 राज्‍यों के 63 जिलों में चिंताजनक हालात, केंद्र ने जांच बढ़ाने के दिए निर्देश

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नई दिल्‍ली : देश में जानलेवा कोरोना वायरस संक्रमण एक बार फिर से पैर पसार रहा है। दिनोंदिन संक्रमण के नए मामलों में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है।

शनिवार को जारी आंकड़ों के अनुसार देश में कोरोना वायरस संक्रमण के 18,327 नए मामले सामने आने के बाद कुल मामले बढ़कर 1.11 करोड़ से अधिक हो गई है।

शनिवार को देश में 36 दिनों के बाद संक्रमण के ये सर्वाधिक मामले दर्ज किए गए। महाराष्ट्र, केरल, पंजाब, कर्नाटक और तमिलनाडु में प्रतिदिन संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।

शनिवार को सामने आए कुल कोरोना केस में 82 प्रतिशत मामले इन राज्यों से हैं। इसके अलावा देश के 8 राज्‍यों के 63 जिले ऐसे हैं, जहां कोरोना वायरस संक्रमण फिर बढ़ रहा है।

इन जिलों में संक्रमण के मामलों को देखते हुए कहा जा रहा है कि यहां हालात खराब हैं। इनमें उत्‍तराखंड और हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्‍यों के शहर भी शामिल हैं।

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने शनिवार को बैठक की। इसमें इन जिलों में कोरोना संक्रमण की स्थिति को लेकर आंकड़े पेश किए गए तो जानकारी हुई कि राज्‍य सरकारों का ध्‍यान इन संवेदनशील जिलों की ओर है ही नहीं।

इन सभी जिलों में जिला प्रशासन की ओर से कोरोना जांच को लेकर कम काम हुआ है।

मंत्रालय पिछले काफी समय से इन राज्‍यों को पत्र लिखकर जिलों में सतर्कता बरतने के लिए कह रहा है। ऐसे में यह लापरवाही होना किसी हैरानी से कम नहीं है।

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण और नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने शनिवार को दिल्ली, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा, गोवा, चंडीगढ़, हरियाणा और आंध्र प्रदेश के स्वास्थ्य सचिव और राज्य स्वास्थ्य मिशन के निदेशक के साथ बैठक की है।

इसमें पता चला कि 8 राज्यों के 63 जिलों में कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर स्थित खराब है। इसमें दिल्ली के कुल 11 जिलों में से 9 जिलों में कोरोना को लेकर सवाल खड़े किए गए हैं।

वहीं हरियाणा के 15, आंध्र प्रदेश और ओडिशा के 10-10, हिमाचल प्रदेश में 9, उत्तराखंड में 7, गोवा में दो और चंडीगढ़ के एक जिले में कोरोना वायरस की जांच में कमी दर्ज की गई है।

इन जिलों में आरटी पीसीआर जांच में भी लापरवाही सामने आ रही है।

वहीं डॉ. वीके पॉल ने जानकारी दी है कि इन जिलों के हालात को लेकर समीक्षा की गई है।

वहां स्थिति चिंताजनक जरूर तो है लेकिन इसे नियंत्रित करने के लिए उचित समय है।

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