Dr. Rose Kerketta’s Birth Anniversary Celebrated: शुक्रवार को SDC सभागार में संवाद की ओर से प्रसिद्ध लेखिका, कवयित्री और साहित्यकार डॉ. रोज केरकेट्टा (Dr. Rose Kerketta) की जयंती मनाई गई।
कार्यक्रम की शुरुआत उनके चित्र पर फूल अर्पित कर श्रद्धांजलि देने से हुई। सबसे पहले उनकी बेटी वंदना केरकेट्टा ने अपनी मां को नमन किया और पुष्पांजलि दी।
साहित्य जगत के लोग हुए शामिल
रांची विश्वविद्यालय (Ranchi University) की पूर्व प्रोफेसर रेणु दीवान ने कहा कि डॉ. रोज केरकेट्टा का जन्म 5 दिसंबर 1940 को सिमडेगा में हुआ था। वे खड़िया समाज से थीं और केवल एक महिला लेखक ही नहीं, बल्कि एक पूरे दौर की आवाज थीं।
उन्होंने गरीबी, समाज में होने वाले अत्याचार और महिलाओं की समस्याओं को अपने लेखन के केंद्र में रखा। उनके साहित्य में आदिवासी समाज, खासकर लड़कियों के संघर्ष की मजबूत झलक देखने को मिलती है। झारखंड आंदोलन में भी उनका योगदान सराहनीय रहा।
साहित्य में आदिवासी समाज की आवाज
इस मौके पर प्रोफेसर सावित्री बड़ाईक ने कहा कि रोज केरकेट्टा की रचनाएं महिलाओं के संघर्ष, सामाजिक रिश्तों और समाज की कमियों को सामने लाती हैं।
वे सिर्फ आदिवासी महिलाओं की बात नहीं करती थीं, बल्कि हर समाज की महिलाओं की सोच और जीवन को अपनी कहानियों में जगह देती थीं।
प्रोफेसर बड़ाईक ने कहा कि रोज केरकेट्टा शंख और स्वर्णरेखा नदी की तरह थीं, जो लगातार बहती रहीं और हर मुश्किल का सामना करती रहीं।
वे शिक्षा को महिलाओं के लिए सबसे बड़ा हथियार मानती थीं और हमेशा यह संदेश देती थीं कि महिलाएं हुनर सीखकर आगे बढ़ें।
कई साहित्यकारों की उपस्थिति
कार्यक्रम में साहित्यकार वंदना केरकेट्टा, मांती कुमारी, पूर्णिमा बिरूली, सुनिता बिरूली, पार्वती देवी और ऐनी टुडु समेत कई अन्य साहित्य प्रेमी और सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद थे। सभी ने डॉ. रोज केरकेट्टा के जीवन और उनके साहित्यिक योगदान को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।




