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छात्रों को आधुनिक विश्व समुदाय के योग्य नागरिक बनाने का प्रयास करें शैक्षणिक संस्थान

नई दिल्ली: राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों को छात्रों को आधुनिक विश्व समुदाय के योग्य नागरिक बनाने का प्रयास करना चाहिए।

वह मंगलवार को गांधीनगर में गुजरात के केंद्रीय विश्वविद्यालय के तीसरे दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे।

राष्ट्रपति ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत हमारे देश को ‘नॉलेज सुपर पावर’ बनाने के उद्देश्य से भारतीय मूल्यों पर आधारित आधुनिक ज्ञान-विज्ञान की शिक्षा को प्रोत्साहित करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

बदलते विश्व में अपने दायित्वों के प्रति विद्यार्थियों में जागरूकता उत्पन्न करना भी नई शिक्षा प्रणाली का एक प्रमुख उद्देश्य है।

शिक्षण संस्थानों द्वारा यह प्रयास किया जाना है कि हमारे विद्यार्थी आधुनिक विश्व समुदाय के समर्थ नागरिक बनें।

उच्च शिक्षण संस्थानों द्वारा लोक हित और नैतिकता के महत्व पर भी विशेष बल दिए जाने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि मानवीय संवेदनाओं व नैतिकता पर आधारित भारतीय जीवन-मूल्यों पर विशेष बल देकर ही हम अपने विश्वविद्यालयों तथा पाश्चात्य विचारों पर आधारित विदेशी विश्वविद्यालयों व शिक्षण संस्थानों के बीच में अंतर कर सकेंगे।

छात्रों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि एक मजबूत एवं आत्मनिर्भर भारत का निर्माण हमारी वैश्विक सोच के केंद्र में है।

आत्मनिर्भरता के लिए स्थानीय संसाधनों, अनुभवों एवं ज्ञान का उपयोग किया जाना चाहिए।

छात्र स्थानीय संसाधनों का उपयोग करते हुए रिसर्च तथा इनोवेशन के माध्यम से स्थानीय विकास को बल प्रदान करके शिक्षा को सही अर्थों में उपयोगी बना सकते हैं।

उन्होंने कहा कि हमें इस बात पर सदैव ध्यान देना है कि हमारी शिक्षा का लाभ, हमारे व्यक्तिगत विकास के साथ-साथ समाज और देश को भी मिले।

उन्होंने कहा कि विकास की यात्रा में अपेक्षाकृत पीछे रह गए लोगों के उत्थान के लिए प्रयास करने से वे एक बेहतर समाज के निर्माण में योगदान दे पाएंगे।

राष्ट्रपति ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि गुजरात के केंद्रीय विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त कर रहे विद्यार्थियों में लगभग 55 प्रतिशत संख्या बेटियों की है।

उन्होंने कहा कि यह भी सुखद संयोग है कि आज के कुल 21 पदक विजेताओं में भी और आज के दीक्षांत समारोह में 21 में से 13 पदक छात्राओं ने जीते हैं।

उन्होंने कहा कि यह इस विश्वविद्यालय की एक बड़ी उपलब्धि है। यह हमारे समाज में हो रहे परिवर्तन की झलक और नए भारत की तस्वीर दिखाता है।

राष्ट्रपति ने कहा कि लगभग 30 राज्यों के छात्र गुजरात के केंद्रीय विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि 85 प्रतिशत छात्र अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से हैं।

उन्होंने कहा कि इस तरह विश्वविद्यालय परिसर एक मिनी इंडिया की तरह है और हमारी राष्ट्रीय एकता को मजबूत कर रहा है।

उन्होंने विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले अन्य राज्यों के छात्रों से गुजरात के लोगों से आत्मनिर्भरता, उद्यमशीलता और स्व-रोजगार की संस्कृति को आत्मसात करने का आग्रह किया।

राष्ट्रपति ने कहा कि आज से लगभग 25 वर्ष बाद सन 2047 में हमारा देश स्वाधीनता की शताब्दी मनाएगा। आप सभी विद्यार्थियों की पीढ़ी उस ऐतिहासिक अवसर की साक्षी बनेगी।

मैं चाहूंगा कि आप सभी आज से ही यह संकल्प लेकर अपनी जीवन यात्रा में आगे बढ़ें कि सन 2047 तक हमारा देश विश्व के सर्वश्रेष्ठ राष्ट्र के रूप में प्रतिष्ठित हो।

राष्ट्र-निर्माण के इस संकल्प में मेरी शुभकामनाएं आप सबके साथ हैं।

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